Aayodhya inauguration: 22 जनवरी को देश का सबसे बड़ा पर्व आयोजित होने जा रहा है। अयोध्या रामलला मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा होना है ऐसे में पूरे देश से लोगों ने अपना योगदान देना शुरू किया। कोई 108 फीट अगरबत्ती बना दिए तो किसी ने 600 किलो गाय के घी की व्यवस्था की, इसी कड़ी में रीवा भी पीछे नहीं रहा। यहां के ललित ने राम राज्य के ध्वज का डिजाइन किया है जिसमें कहा गया कि अयोध्या की प्रतिष्ठा गौरव वैभव और ख्याति को ज्यों का त्यों लाया जा रहा। पर वाल्मीकि के रामायण कालिदास के रघुवंशम एवं भवभूत के उत्तर पर रामचरित में तत्कालीन अयोध्या राज्य के जिस राज्य ध्वज और उसमें चित्रित जिस पेड़ का चिन्ह था उसे पर किसी का ध्यान नहीं गया।
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रामायण के अयोध्या कांड के अध्ययन के दौरान रीवा के ललित मिश्रा ने इस पर गौर किया उन्होंने इस पर शोध करते हुए अयोध्या का राज्य ध्वज और उसमें चिन्ह वृक्ष कोविदार को ढूंढ निकाला। दरअसल, राम को वनवास से वापस लाने के लिए भरत के साथ चित्रकूट की और जा रहे थे उस समय के प्रसंग में राज्य ध्वज का जिक्र लक्ष्मण ने किया था। 30 दिसंबर को न्याय कमेटी की बैठक में ललित के डिजाइन किए गए अयोध्या के राज्य ध्वज की मान्यता दी जा सकती है।
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ललित ने मीडिया को बताया कि राज ध्वज में चिन्ह जिस कोवीदार वृक्ष का प्रतीक है वह बहुत मन भावन है। कश्यप ऋषि के हवाले से वे बताते हैं कि इसे कचनार और मंदार के मिश्रण से तैयार किया गया जिसका प्रमाण रामायण में मिलता है। इसकी मौजूदगी में भी प्रयागराज से काशी के बीच करीब 100 मिल के दायरे में रही। इसका बाटनीक्ल नाम बहोनिया है। इस वृक्ष में अनेक औषधि गुण पाए जाते हैं। जिसका वर्णन आयुर्वेद के ग्रंथ में है ललित मिश्रा रीवा के सेमरिया तहसील के ग्राम हरदुआ निवासी हैं। वह अयोध्या रामलाल मंदिर में अपना बड़ा योगदान देना चाहते हैं