Sidhi news: विकास के गति पर मनरेगा अधिकारी पड़ रहे भारी, प्रस्ताव के बाद भी लगा रहे चक्कर, कमीशन के बाद सरपंच-सचिव करा रहे काम

Sidhi news: विकास के गति पर मनरेगा अधिकारी पड़ रहे भारी, प्रस्ताव के बाद भी लगा रहे चक्कर, कमीशन के बाद सरपंच-सचिव करा रहे काम।

प्रथम न्याय न्यूज़ सीधी। सीधी अजब है सीधी गजब है यहां के अधिकारी व कर्मचारी सबसे अलग है हम ऐसा यूं ही नहीं कर रहे है यह सीधी जिले के जिला पंचायत के अधिकारियों व कर्मचारियों का कार्य व्यवहार ही ऐसा है जो आज बयां हो रहा है क्योंकि इस कार्यालय में बिना टेबल के नीचे से पैसा खिसकाए कोई भी काम नहीं होता है।

हर हांथ को काम देने वाली केन्द्र सरकार की मनरेगा योजना जिले में भ्रष्टाचार के चंगुल में अटक गई है। एक तरफ जिम्मेदार अमला योजना में कमीशन तय कर ठेकेदारों के हांथ विकास कार्य सौंप दिये वहीं दूसरी तरफ पंचायतों के विकास को लेकर सक्रिय सरपंच-सचिव मनरेगा प्रभारी की मनमानी से परेशान है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जबसे जिला पंचायत के मनरेगा शाखा का प्रभार सत्येन्द्र पटेल ने सम्हाला है तबसे यहां प्रस्तावों को मंजूरी मिलने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। नाम न छापने की शर्त पर जिले के कई सरपंचों ने मीडिया से शिकायत करते हुए बताया कि जिला पंचायत के मनरेगा योजना प्रभारी सत्येन्द्र पटेल द्वारा प्रत्येक फाईल की मंजूरी के लिए 20 हजार रूपये बतौर सुविधा शुल्क निर्धारित कर रखी है। जिनके द्वारा यह सुविधा शुल्क नही दी जाती उन्हे तरह-तरह के कागजी अड़चनों का बहाना बताकर भटकाया जाता है।

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उल्लेखनीय है कि सीधी जिला पंचायत में मनरेगा योजना सहित तमाम ऐसी जन कल्याणकारी योजना भ्रष्टाचारियों के हांथो में फंसी है जिसके चलते सीधी जिले के विकास का पहिया रफ्तार नही पकड़ पा रहा है। यहां मनरेगा योजना में जहां जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है वहीं 14वें 15 वें वित्त की राशि वितरण में भी मनमानी पूर्ण तरीके से कार्य किया जा रहा है। जबकि इस पूरे मामले की जानकारी जिला पंचायत सीईओ राहुल धोटे के पास मीडिया व जनप्रतिनिधियों के अलावा आम जनमानस के माध्यम से लगातर पहुंच रही है लेकिन उनके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही की जा रही है इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस पूरे गोलमाल में सीईओ की भूमिका भी संदिग्ध है।

20 हजार में मिलता है काम

विकास की अति महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा सीधी जिले में 20 हजार रूपये में चलती है यहां मनरेगा प्रभारी द्वारा कार्य स्वीकृति के पूर्व सरपंच,सचिव एवं पंचायती ठेकेदारों से बतौर सुविधा शुल्क 20 हजार रूपयें ऐंठी जा रही है। सूत्रों की माने तो इस सुविधा शुल्क की वसूली के लिए मनरेगा प्रभारी सत्येन्द्र पटेल द्वारा एक निजी व्यक्ति को जिम्मा सौंपा गया है जिसके द्वारा मनरेगा योजना में निर्माण संबंधित आने वाली फाईलों के सरपंच,सचिव व ठेकेदारों से सम्पर्क कर 20 हजार रूपये सुविधा शुल्क की वसूली की जा रही है।

यहां भी है काफी मात्रा में गड़बड़झाला

जिला पंचायत में विकास से संबंधित हर योजनाओं में भ्रष्टाचार का साया बना हुआ है। लेकिन जिस तरह से मनरेगा में राशि वसूली जा रही है उसी तरह 14 वें एवं 15 वें वित्त योजना के प्रभारी जय सिंह द्वारा खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो वित्त योजना प्रभारी जय सिंह ग्राम पंचायतों को जो राशि इस मद से जारी करते है उस राशि जारी करने के पूर्व अपनी कमीशन की राशि रखवा लेते है। यही नही पंचायतों के अलावा निजी व्यक्तियों द्वारा पंचायत के माध्यम से इस योजना के लिए प्रस्ताव तैयार कराकर सीधे जिला पंचायत लेकर आते है व योजना प्रभारी से मिलकर उनकी कमीशन राशि अदा कर राशि ले जा रहे है।

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