Sidhi news: सुपेला धान खरीदी केंद्र में हो रही जमकर धाधंली, किसान धोखाधड़ी का शिकार प्रबंधक हो रहे मालामाल, जिम्मेदार बने गांधारी।
प्रथम न्याय न्यूज़ सीधी। पूरे मध्य प्रदेश में इन दिनों किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य जोरो से चल रहा है और लगभग 60 फ़ीसदी किसानों से धान खरीदी हो चुकी है वहीं खरीदी की आखिरी तारीख 16 जनवरी नियत की गई है। परंतु जिले का एक ऐसा खरीदी केंद्र जहां समिति प्रबंधक के मनमानी की वजह से किसान ठगी का शिकार हो रहे हैं। और किसान के मेहनत की धान के ऊपर समिति प्रबंधक डाका डाल रहे हैं।
सुपेला में 40 की जगह 41.2 किलोग्राम हो रही खरीदी
जिले के सिहावल अंतर्गत पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तथा वर्तमान CWC मेंबर कमलेश्वर पटेल के गृह ग्राम सुपेला में पटेहरा के नाम से किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य हो रहा है। जहां किसानों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। बातचीत के दौरान किसान ने बताया कि हम जानते हैं कि 40 किलो प्रति बोरे के हिसाब से सरकार की गाइडलाइन है कि हमसे धान खरीदी होगी परंतु यहां पर समिति प्रबंधक 41.2 किलोग्राम प्रति बोरे के हिसाब से खरीद रहे हैं। वही जब हमारे द्वारा इसका विरोध किया गया तो उन्होंने कहा कि देना है तो दीजिए नहीं तो वापस ले जाइए। तथा तौल का काम कर रहे एक मजदूर ने भी बताया कि समिति प्रबंधक के कहने पर ही 41.2 किलोग्राम प्रति बोरे के हिसाब से तौल कर रहा हूं। वही जब मीडिया के द्वारा किसानों से कैमरे पर सवाल किया जाने लगा तो समिति प्रबंधक ने किसानों को बोलने से मना कर दिया। और खुद बोलने से बचते नजर आए।
35 हज़ार क्विंटल के लगभग हुई है अभी तक खरीदी
सुपेला में पटेहरा के नाम से इस वर्ष समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी हो रही है और बातचीत के दौरान समिति प्रबंधक बृजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि लगभग 35000 क्विंटल के आसपास समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी हो चुकी है।
व्यापारियों का है बोल वाला
एक व्यापारी ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि हम छोटे किसानों से जिसके पास 4,6,10 क्विंटल धान होती है उनसे खरीदते हैं और जो बड़े किसान होते हैं उनके खाते में डालते हैं और उनके खाते में डालने के एवज में समिति प्रबंधक एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से अपना कमीशन लेते हैं। इससे धान भी वैलिड हो जाती है और समिति प्रबंधक की कमाई भी। परंतु एक अन्य व्यापारी ने जैसे ही जाना कि हम मीडिया कर्मी से बात कर रहे हैं वैसे ही वह हाथ जोड़कर निवेदन करने लगा कि अगर हमारा नाम उजागर हो जाएगा तो पैसा हमारा डूब जाएगा।
हाथ लगाते ही हो जाएगा कलेक्टर का ट्रांसफर तो अन्य की क्या औकात
जब किसान के इस दोहन के संबंध में हमारे द्वारा समिति प्रबंधक बृजेंद्र सिंह चौहान से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने बोलने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया और कहा कि हम पैसा पहुंचाते हैं ऊपर तक तब जाकर यह खरीदी केंद्र मिला है हमारा कोई कुछ नहीं कर सकता इसीलिए हम सुपेला में खरीदी करवा रहे हैं अगर कलेक्टर इस खरीदी केंद्र में हाथ लगाएंगे तो उनका 2 मिनट में स्थानांतरण हो जाएगा। और हमारे विभागीय अधिकारी यहां कभी नहीं आएंगे क्योंकि उन्हें पहले से ही मालूम है कि यह खरीदी केंद्र किसका है।
अब सवाल यह भी बड़ा है कि एक समिति प्रबंधक जिले के मुखिया कलेक्टर के बारे में अगर इस तरह से बात करता है तो निश्चित तौर पर राजनीतिक संरक्षण किस कदर उसे प्राप्त है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है फिलहाल देखना या होगा कि क्या कलेक्टर इस खरीदी केंद्र और समिति प्रबंधक के खिलाफ कोई कार्यवाही करते हैं।