राजनीति

बैठक से बाहर रोके गए सपा विधायक, धरने के बाद CM से की शिकायतों की झड़ी

सरधना विधायक अतुल प्रधान को बैठक से रोका गया, विरोध में धरना दिया और बाद में सीएम से मिलकर रखीं जलभराव, सड़क, बिजली की समस्याएं।

मेरठ में उस समय हैरानी का माहौल बन गया जब सरधना से समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान को ऊर्जा भवन में आयोजित मंडलीय समीक्षा बैठक में प्रवेश नहीं करने दिया गया। नाम न होने की बात कहकर उन्हें बाहर रोक दिया गया। इस व्यवहार से नाराज विधायक वहीं धरने पर बैठ गए। उन्होंने हाथ में एक तख्ती भी उठा रखी थी, जिस पर लिखा था– “विपक्ष का विधायक”।

धरना करीब दो घंटे तक चला। इस दौरान विधायक ने अधिकारियों से तीखे सवाल किए और पूछा कि क्या यह बैठक केवल भाजपा नेताओं के लिए है या फिर सभी जनप्रतिनिधियों के लिए? उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर रोका गया क्योंकि वे मुख्यमंत्री के सामने जनता की असली समस्याएं उठाना चाहते थे।

शाम करीब सात बजे, जब जनप्रतिनिधियों की बैठक खत्म हो गई और मंडलीय समीक्षा बैठक शुरू हुई, तो एडीएम सिटी बृजेश सिंह अतुल प्रधान को अंदर लेकर गए। अंदर पहुंचते ही विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपनी नाराजगी जताई और कहा, “विपक्ष का मैं अकेला विधायक हूं और मुझे अंदर आने से रोका गया।” इस पर सीएम ने जवाब दिया कि जैसे ही सूचना मिली, आपको बुला लिया गया।

विधायक ने उठाईं ये अहम समस्याएं

बैठक में अतुल प्रधान ने सीएम के सामने मेरठ और आसपास की कई गंभीर समस्याओं को रखा। उन्होंने कहा कि:

शहर में जलभराव और सड़कों की जर्जर हालत आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन रही है।

अवैध कॉलोनियों को बसाने वाले भूमाफिया पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

गोशालाओं में गोवंश की लगातार हो रही मौतें चिंताजनक हैं।

नशे का व्यापार और अपराध बढ़ता जा रहा है।

बिजली संकट ने गांवों और कस्बों को परेशान कर रखा है।

तालाबों की सफाई न होने से गांवों में पानी भर रहा है।

तहसीलों में भ्रष्टाचार और मेडिकल कॉलेज में इलाज में लापरवाही हो रही है।

विकास कार्यों को लेकर रखीं खास मांगें

अतुल प्रधान ने मसूरी से दौराला, सरधना, भूनी होते हुए बड़ौत तक सड़क को राज्यमार्ग का दर्जा देने की मांग की ताकि इस मार्ग का निर्माण हो सके। इसके अलावा गंग नहर की पटरी पर अधूरे पड़े निर्माण कार्य को जल्द पूरा कराने और काली नदी की सफाई कराने की मांग भी उन्होंने रखी।

मुख्यमंत्री ने दिया संज्ञान, अधिकारियों को निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायक की बातों को गंभीरता से सुना और बैठक के अंत में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिए। उन्होंने मेडिकल कॉलेज की निगरानी की जिम्मेदारी कमिश्नर को, जबकि जिला स्तरीय योजनाओं की समीक्षा डीएम को सौंपने की बात कही।

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