हिंदू पंचांग के अनुसार 2025 का सावन महीना विशेष धार्मिक महत्त्व लेकर आ रहा है। आमतौर पर सावन का महीना 30 दिनों का होता है, लेकिन इस बार यह 29 दिनों का रहेगा। इसका कारण है “त्रयोदशी तिथि” का क्षय हो जाना, जिसके चलते एक दिन कम हो गया है।
🔍 क्या है तिथि क्षय और क्यों हुआ बदलाव?
त्रयोदशी वह तिथि होती है जब चंद्रमा अपने एक चंद्रमासीय चक्र को पूर्ण करता है। 2025 के सावन में यह तिथि समाप्त (क्षय) हो रही है, जिसके कारण इस महीने की कुल अवधि 30 की जगह 29 दिन रह गई है।
🌸 फिर भी क्यों खास है सावन 2025?
हालांकि तिथियों में कमी आई है, लेकिन इस बार के सावन में कुछ ऐसे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं जो कई वर्षों बाद दिखाई देंगे। इस महीने भगवान शिव की पूजा और व्रत से शुभ फल की प्राप्ति की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।
🕉️ सावन सोमवार व्रत: मिलेगा मनचाहा वर
सावन के पावन महीने में शिवभक्त विशेष रूप से सोमवार को व्रत रखते हैं। इस बार 4 सोमवार पड़ रहे हैं। यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से रखने पर इच्छित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
📿 पूजा के शुभ मुहूर्त (हिंदू पंचांग अनुसार)
भगवान शिव की उपासना के लिए सावन में निम्न शुभ मुहूर्त विशेष माने गए हैं:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:10 से 04:51 तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:54 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 से 03:40 तक
अमृत चौघड़िया: सुबह 08:27 से 10:06 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:21 से 07:41 तक
🔔 सावन क्यों है भक्तिभाव का प्रतीक?
सावन का महीना शिवभक्ति और साधना का प्रतीक होता है। शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, बिल्वपत्र अर्पण और महामृत्युंजय जाप से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस महीने की गई पूजा से पुण्य जल्दी प्राप्त होता है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।
हालांकि सावन 2025 में तिथि एक दिन कम हो गई है, लेकिन इसमें बनने वाले योग और शिवभक्ति के अवसर इसे अत्यंत विशेष बना रहे हैं। यह महीना आत्मिक शांति, आराधना और शिवकृपा पाने का अनमोल समय है।