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ताजमहल: इंजीनियरिंग का अद्भुत चमत्कार और अनंत प्रेम की निशानी

क्यों ताजमहल को दुनिया का सातवां अजूबा कहा जाता है, किसने बनाया, कितने मजदूरों ने दिया योगदान और कितने वर्षों में पूरा हुआ यह अनमोल धरोहर – पूरी कहानी

Taj Mahal: भारत की पहचान कहे जाने वाला ताजमहल केवल एक इमारत नहीं, बल्कि प्रेम और कला का अनोखा संगम है। आगरा में स्थित यह धरोहर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) भी है और इसे दुनिया के सात अजूबों में गिना जाता है। इसका निर्माण उस समय की अद्भुत इंजीनियरिंग और कारीगरी का ऐसा उदाहरण है जो आज भी दुनिया को आश्चर्यचकित करता है।

ताजमहल किसने और क्यों बनवाया

ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था। 1631 में मुमताज़ महल का देहांत हो गया, जिसके बाद शाहजहाँ ने उनके लिए एक भव्य मकबरा बनाने का निर्णय लिया। यह केवल एक मकबरा नहीं, बल्कि प्रेम की अमर गाथा का प्रतीक है।

ताजमहल: इंजीनियरिंग का अद्भुत चमत्कार और अनंत प्रेम की निशानी

इंजीनियरिंग का कमाल

ताजमहल की डिजाइन और इंजीनियरिंग की देखरेख ईरानी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने की थी।

इसकी नींव लकड़ी पर खड़ी है, जिसे नमी से सड़ने से बचाने के लिए यमुना नदी का पानी हमेशा संतुलित रखता है।

मुख्य गुंबद लगभग 35 मीटर ऊँचा है और चारों ओर 40 मीटर ऊँची मीनारें बनाई गई हैं। ये मीनारें हल्की सी बाहर की ओर झुकी हुई हैं ताकि किसी आपदा (जैसे भूकंप) की स्थिति में मुख्य ढांचे पर न गिरें।

इसमें सफेद संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है, जो राजस्थान के मकराना से लाया गया था।

संगमरमर पर की गई पिएत्रा ड्यूरा कला (पत्थरों की जड़ाई कला) आज भी दुनिया भर के कलाकारों को प्रेरित करती है।

ताजमहल: इंजीनियरिंग का अद्भुत चमत्कार और अनंत प्रेम की निशानी

कितने मजदूरों ने किया निर्माण

इतिहासकारों के अनुसार ताजमहल के निर्माण में करीब 20,000 मजदूरों, कारीगरों और कलाकारों ने काम किया। इनमें भारत के अलावा तुर्की, ईरान और मध्य एशिया से आए कलाकार भी शामिल थे।

कितना समय लगा

ताजमहल के निर्माण की शुरुआत 1632 ई. में हुई और इसे पूरा होने में लगभग 22 साल (1653 ई.) लगे। इतने लंबे समय तक लगातार मेहनत और इंजीनियरिंग के कमाल ने इस धरोहर को जन्म दिया।

निर्माण की लागत

उस दौर में ताजमहल बनाने पर लगभग 32 मिलियन रुपये (32 लाख रुपये पुराने समय के हिसाब से) खर्च हुए थे। आज के समय में इसकी कीमत खरबों रुपये आंकी जाती है।

ताजमहल: इंजीनियरिंग का अद्भुत चमत्कार और अनंत प्रेम की निशानी

क्यों है ताजमहल दुनिया का अजूबा

इसकी बेमिसाल खूबसूरती और संगमरमर की चमक दिन के अलग-अलग समय पर अलग-अलग रंगों में झलकती है।

रात के चाँदनी में इसका दृश्य किसी सपने से कम नहीं लगता।

स्थापत्य कला, जड़ाई तकनीक और पूर्ण संतुलन का ऐसा संगम दुनिया में कहीं और नहीं मिलता।

ताजमहल सिर्फ एक मकबरा नहीं है, बल्कि यह अनंत प्रेम की निशानी और अद्भुत इंजीनियरिंग का शिखर है। इसे देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक भारत आते हैं। चाहे इतिहास प्रेमी हों, कलाकार हों या वैज्ञानिक, हर कोई इसे देखकर मुग्ध हो जाता है। यही कारण है कि ताजमहल को दुनिया का सातवां अजूबा कहा जाता है।

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