
मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में बसे रीवा जिले का मऊगंज तहसील अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसी भूमि पर स्थित है – देवतालाब मंदिर, जो न केवल आध्यात्मिक श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि स्थापत्य कला और लोक आस्था का भी अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
देवतालाब मंदिर: आस्था और इतिहास का संगम
देवतालाब मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसे लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग में बसाया गया माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लंकापति रावण द्वारा शिवलिंग की स्थापना के साथ हुआ था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ स्थापित शिवलिंग ‘देवेश्वरनाथ’ के नाम से प्रसिद्ध है।
मंदिर की स्थापत्य विशेषताएँ
देवतालाब मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अत्यंत भव्य और आकर्षक है। मंदिर परिसर में विशालकाय शिलाखंडों से बना गर्भगृह, ऊँचा शिखर और प्राचीन शैली में निर्मित मंडप इसकी ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं। मंदिर के पास ही एक विशाल तालाब (सरवर) स्थित है, जिससे इसका नाम ‘देवतालाब’ पड़ा। यह तालाब न केवल पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों में भी इसकी महत्ता है।
लोक आस्था और मेले
यह मंदिर शिवभक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर यहाँ भव्य मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पूजा-अर्चना करते हैं। श्रावण मास में यहाँ की रौनक देखते ही बनती है। भक्त जन जलाभिषेक करने के लिए यहाँ कतारबद्ध होकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं।
पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण
देवतालाब मंदिर केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थल है। शांत वातावरण, सुरम्य दृश्य, और प्राचीनता की छाया में स्थित यह स्थान आत्मिक शांति की अनुभूति कराता है। आसपास की हरियाली, तालाब का नीला जल और मंदिर की घंटियों की ध्वनि एक मनोहारी अनुभव प्रदान करती है।
कैसे पहुँचें देवतालाब मंदिर
देवतालाब मंदिर, मऊगंज तहसील के अंतर्गत स्थित है, जो रीवा शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। नज़दीकी रेलवे स्टेशन रीवा है, जहाँ से टैक्सी या बस के माध्यम से मऊगंज पहुँचा जा सकता है।
एक रात में बना चमत्कारी मंदिर
स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, देवतालाब मंदिर का निर्माण एक ही रात में हुआ था। मान्यता है कि यह दिव्य कार्य स्वयं देवताओं या किसी अद्भुत शक्ति द्वारा सम्पन्न किया गया था। सुबह जब ग्रामीणों ने देखा, तो एक विशाल शिवमंदिर अपने भव्य रूप में खड़ा था — और तब से इसे ‘देवतालाब’ कहा जाने लगा, क्योंकि मंदिर के पास एक पवित्र तालाब भी प्रकट हुआ था।
शिवलिंग के नीचे छिपा है रहस्यमयी खजाना और नांगमणि
देवतालाब मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग ‘देवेश्वरनाथ’ को लेकर मान्यता है कि इसके ठीक नीचे अपार खजाना और एक अमूल्य नागमणि छिपी हुई है। लोककथाओं के अनुसार, इस शिवलिंग की रक्षा स्वयं नागराज करते हैं। कई कथाओं में यह भी बताया गया है कि जो कोई इस खजाने को पाने की चेष्टा करता है, उसे अदृश्य शक्तियों का कोप झेलना पड़ता है।
अलौकिक शक्तियों का केंद्र
स्थानीय लोग बताते हैं कि रात के समय मंदिर परिसर में अलौकिक घटनाएँ होती हैं — जैसे घंटियों की अनायास ध्वनि, रहस्यमयी प्रकाश, या तालाब से आती दिव्य झंकार। ये घटनाएँ आज भी लोगों को आश्चर्य में डाल देती हैं और श्रद्धा को और गहराई देती हैं।