चंबल प्रदेश की मांग फिर जोर पकड़ने लगी: तीन राज्यों के 21 जिलों को मिलाकर अलग राज्य बनाने की पहल
चंबल क्षेत्र के विकास के लिए अलग राज्य की मांग तेज,तीन राज्यों के 21 जिलों को मिलाकर नया चंबल प्रदेश प्रस्तावित

देश में एक नए राज्य के गठन की मांग ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। इस बार विषय है “चंबल प्रदेश” बनाने का। इसके लिए मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के चुनिंदा जिलों को मिलाकर नया राज्य बनाने की योजना सामने आई है। इस मांग को लेकर मध्यप्रदेश के भिंड जिले के फूप कस्बे में 4 मई को महापंचायत बुलाई गई है।
पूर्व विधायक रविंद्र भिडोसा, जो पहले कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, इस मुहिम की अगुवाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि चंबल क्षेत्र अब भी विकास से काफी पिछड़ा हुआ है, और क्षेत्र की तरक्की के लिए अलग राज्य का गठन जरूरी है। भिडोसा का दावा है कि यह मांग जनता की भावना और लंबे समय से उठती आवाजों का प्रतिनिधित्व करती है।
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चंबल प्रदेश का प्रस्तावित नक्शा भी तैयार
रविंद्र भिडोसा ने प्रस्तावित चंबल प्रदेश का प्रारूप भी तैयार कर लिया है। इस नक्शे में मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुल 21 जिलों को शामिल करने का प्रस्ताव है। इनमें सबसे अधिक 8 जिले मध्यप्रदेश से, 7 उत्तर प्रदेश से और 6 जिले राजस्थान से लिए जाएंगे। प्रस्तावित चंबल प्रदेश की कुल आबादी लगभग 6 करोड़ बताई जा रही है।
इन जिलों को किया जा सकता है शामिल
मध्यप्रदेश से : गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और भिंड।
राजस्थान से : धौलपुर, करौली, सवाई माधौपुर, कोटा, बारा और झालावाड़।
उत्तर प्रदेश से : आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी और ललितपुर।
चंबल प्रदेश की मांग कोई नई नहीं है
चंबल प्रदेश के गठन की मांग पहले भी उठती रही है। राष्ट्रीय हनुमान सेना ने भी 1999 से इस मुद्दे पर आवाज बुलंद की थी। हालांकि, समय-समय पर यह आंदोलन ठंडे बस्ते में चला जाता रहा है। अब एक बार फिर से इस मांग को नए जोश के साथ सामने लाया गया है।
राजनीतिक समर्थन जुटाने की कोशिश
रविंद्र भिडोसा का प्रयास है कि इस अभियान को किसी एक पार्टी से नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों का समर्थन मिले, ताकि दबाव बनाकर सरकार से अलग राज्य की मंजूरी ली जा सके।