मध्यप्रदेश

गांवों की समृद्धि की नई राह: अब पेट्रोल पंप से लेकर डेयरी तक चलाएंगी सहकारी समितियां

मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों को नया विस्तार, अब पेट्रोल पंप से डेयरी तक संभालेंगी जिम्मेदारी

मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों को अब नई उड़ान मिलने जा रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की है कि अब ये समितियां सिर्फ पारंपरिक कार्यों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि पेट्रोल पंप, मेडिकल स्टोर और अन्य सेवाओं का संचालन भी कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि फरवरी में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान सहकारी समितियों के माध्यम से फैक्ट्रियां चलाने के लिए कई अहम समझौते हुए हैं।

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राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में सहकारी क्षेत्र में अनगिनत संभावनाएं हैं और बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों के ज़रिए इनका भरपूर दोहन किया जा रहा है।

सीएम यादव ने खासतौर पर दूध उत्पादन पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने का बड़ा साधन है। राज्य सरकार ने गाय पालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी योजना शुरू की है। प्रदेश का लक्ष्य राष्ट्रीय दूध उत्पादन में अपनी हिस्सेदारी 9 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी तक ले जाना है। इसी दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए सरकार अब किसानों से सीधे दूध खरीदेगी।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस अवसर पर सहकारी आंदोलन को लेकर बड़ी बातें कही। उन्होंने बताया कि कांग्रेस शासनकाल में सहकारिता क्षेत्र उपेक्षित रहा, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय का गठन कर इस क्षेत्र को नई ऊर्जा दी गई है।

शाह ने बताया कि फिलहाल प्रदेश के कुल दूध उत्पादन का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा सहकारी डेयरियों से आता है, और सिर्फ 17% गांवों में ही दूध संग्रह हो रहा है। लेकिन नए समझौते से अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) को राज्य के 83% गांवों तक पहुंच बनाने का अवसर मिलेगा। लक्ष्य है कि आने वाले पांच वर्षों में आधे से अधिक गांवों में प्राथमिक दूध उत्पादन समितियों की स्थापना हो सके।

उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे सहकारी डेयरियों से जुड़ें और दूध, दही, छाछ जैसे उत्पादों का स्थानीय स्तर पर निर्माण करें, जिससे न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी।

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