मध्यप्रदेश

प्रमोशन पर रोक, प्रतिनियुक्ति का झटका: वित्त विभाग ने 15 अनुभाग अधिकारी पद बाहरी अफसरों से भरे

मध्य प्रदेश मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 15 पदों पर प्रतिनियुक्ति से तैनाती का फैसला, 49 कर्मचारियों की पदोन्नति पर संकट, कर्मचारी संघ ने जताया विरोध।

मध्य प्रदेश सरकार में नौ साल बाद कर्मचारियों के प्रमोशन का इंतज़ार तो ख़त्म होने वाला था, लेकिन वित्त विभाग के ताज़ा फ़ैसले ने उत्साह पर पानी फेर दिया है। मंत्रालय के अनुभाग अधिकारी (Section Officer) के 15 रिक्त पद अब सीधे कोष एवं लेखा विभाग के सहायक लेखा अधिकारियों और लेखा अधिकारियों से प्रतिनियुक्ति पर भरे जा रहे हैं। यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर प्रतिनियुक्ति के जरिए मंत्रालय के पदों पर बाहरी अफसरों की तैनाती की जा रही है।

कैसे खुला प्रतिनियुक्ति का दरवाज़ा

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने पहले नियमों का हवाला देकर फ़ाइल लौटा दी थी।

मामला सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुंचा, जिनके निर्देश के बाद GAD ने हामी भर दी।

सहमति मिलते ही न सिर्फ़ वित्त विभाग, बल्कि मंत्रालय के अन्य विभागों के लिए भी प्रतिनियुक्ति का रास्ता साफ़ हो गया।

प्रमोशन चेन पर सीधी चोट

इन 15 पदों के प्रतिनियुक्ति से भर जाने का सीधा असर 49 कर्मचारियों पर पड़ेगा।

सहायक ग्रेड-1 के कर्मचारियों को अनुभाग अधिकारी बनने का मौक़ा मिलता, तो क्रमशः ग्रेड-2 और ग्रेड-3 के लिए भी पद खाली होते।

अब यह “प्रमोशन चेन” टूटने का ख़तरा मंडरा रहा है।

मंत्रालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने इसे “कर्मचारियों के अधिकारों पर कुठाराघात” बताते हुए खुला विरोध दर्ज किया है। उनका कहना है, “सरकार ने अगर आदेश वापस नहीं लिया तो आंदोलन तय है।

विभागों का तर्क और विवाद

वित्त विभाग का कहना है कि अनुभाग अधिकारी जैसे तकनीकी पदों पर अनुभवी वित्तीय अफसरों की ज़रूरत है, ताकि बजट और लेखा‐जोखा बिना देरी के निपट सके।

GAD के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने भी स्पष्ट किया, “वित्त विभाग का प्रस्ताव नियमों के दायरे में था, इसलिए अनुमति दे दी।

दूसरी ओर कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि प्रतिनियुक्ति से केवल “आउटसोर्स” मानसिकता को बढ़ावा मिलेगा, जिससे निचले स्तर के कर्मचारियों की मेहनत और वफ़ादारी को नजरअंदाज़ किया जा रहा है।

आगे क्या होगा अब 

1. अदालती चुनौती: कर्मचारी संघ न्यायिक दख़ल की तैयारी कर रहा है।

2. नीति-पुनरावलोकन: अगर विरोध तेज़ हुआ, तो सरकार को प्रमोशन नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

3. कार्यदक्षता बनाम मनोबल: प्रतिनियुक्ति से भले ही काम तेज़ हो, पर मनोबल गिरा तो दीर्घकालीन उत्पादकता पर असर तय है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए नौ साल बाद खुली प्रमोशन की राह एक बार फिर धुंधली पड़ गई है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार सामूहिक असंतोष को कैसे संभालती है—प्रमोशन चेन बहाल कर के या प्रतिनियुक्ति के फ़ैसले पर अडिग रह कर।

समाचार

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