एमपी में 50 हजार कर्मचारियों के होंगे तबादले,आवेदन पहुंच गए डेढ़ लाख
मध्यप्रदेश में 50 हजार तबादलों की योजना के मुकाबले डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आए, शिक्षा विभाग सबसे आगे, भोपाल में एक पद पर 40 से ज्यादा दावेदार

प्रदेश में मानसून से पहले सरकारी महकमों में तबादलों का मौसम चरम पर है। सरकार ने जहां करीब 50 हजार कर्मचारियों के तबादलों की योजना बनाई है, वहीं सिर्फ 24 मई तक ही डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं। सबसे ज्यादा हलचल स्कूल शिक्षा विभाग में देखने को मिल रही है, जहां 35 हजार से अधिक कर्मचारी तबादला चाहते हैं।
भोपाल में एक पद पर 40 उम्मीदवार
भोपाल जैसे बड़े शहरों में तबादले की मांग सबसे अधिक है। एक-एक पद के लिए 40 से ज्यादा आवेदन आए हैं। उच्च शिक्षा, राजस्व और स्वास्थ्य विभाग में भी भारी संख्या में कर्मचारी अपनी पोस्टिंग बदलवाना चाहते हैं। राजस्व विभाग को अब तक 8 हजार, तो स्वास्थ्य विभाग को 4 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं।
विधायकों की सिफारिश बनी तबादले की चाबी
जिन क्षेत्रों में तबादले की मांग है, वहां स्थानीय विधायकों की सहमति को प्राथमिकता दी जा रही है। सत्ताधारी और विपक्षी, दोनों दलों के विधायक अपने क्षेत्र के कर्मचारियों की सिफारिश कर रहे हैं। विभागीय मंत्री भी इन सिफारिशों को नज़र अंदाज़ नहीं कर रहे हैं।
सीएम की निगरानी में होंगे बड़े अधिकारियों के तबादले
क्लास-1 और क्लास-2 के अधिकारियों के तबादले मुख्यमंत्री के समन्वय से ही किए जाएंगे। नियम के अनुसार, किसी भी अधिकारी को एक ही स्थान पर तीन साल से ज्यादा नहीं रखा जाएगा। पति-पत्नी के केस में एक ही जगह पोस्टिंग को प्राथमिकता दी जा रही है।
सीमित पद, असीमित आवेदन
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में महज़ 250 स्वीकृत पद हैं, जिनमें 147 पहले ही भरे जा चुके हैं। ऐसे में केवल 14-15 तबादले ही संभव हैं। कोऑपरेटिव और जनजातीय विभागों में भी पद सीमित हैं लेकिन आवेदन उससे कहीं ज्यादा हैं। जनजातीय विभाग में तो मंत्री से जुड़ी विवादों के चलते प्रक्रिया अटकी हुई है।
संविदा कर्मियों के तबादले की शर्तें अलग
संविदा कर्मचारियों के तबादले के लिए पहले उनका मौजूदा एग्रीमेंट खत्म होगा और नई जगह पर नया अनुबंध बनेगा। प्रदेश में करीब 2.5 लाख संविदा कर्मचारी हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इसके लिए नीति बनाई है, जिसे अन्य विभागों में भी लागू किया जाएगा।
तबादले की तारीख बढ़ सकती है
सरकार अब तबादला प्रक्रिया की समयसीमा 31 मई से आगे बढ़ाकर एक सप्ताह और देने पर विचार कर रही है। चूंकि बीते तीन वर्षों से तबादलों पर रोक थी, इसलिए इस बार कर्मचारियों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।
कुछ जनप्रतिनिधियों ने बनाई दूरी
जहां कुछ विधायक तबादलों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, वहीं कुछ सांसद इससे दूर हैं। उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने तो अपने आवास पर बोर्ड लगा दिया है: “तबादलों के लिए संपर्क न करें।