मऊगंज

मऊगंज गडरा कांड में अब तक क्या-क्या हुआ,यहां पढ़िए पूरी अपडेट और खुलासे

मऊगंज के गडरा गांव में पिता और दो बच्चों की लाशें फंदे से लटकी मिलीं। परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया और सीबीआई जांच की मांग की।

गडरा गांव की दर्दनाक घटना से पूरे मध्य प्रदेश में सनसनी फैल गई है। रीवा जिले के मऊगंज क्षेत्र में एक ही परिवार के तीन सदस्य — पिता, बेटी और बेटा — मृत पाए गए। यह घटना केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि पुलिस प्रशासन के खिलाफ उठता जन आक्रोश भी है।

घटना का विवरण: क्या हुआ गडरा गांव में

मऊगंज तहसील के गडरा गांव में शुक्रवार सुबह एक घर से दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस ने दरवाजा तोड़ा, तो अंदर का दृश्य रूह कंपा देने वाला था — औसेरी साकेत (55), उनकी बेटी मीनाक्षी (11) और बेटा अमन (8) के शव फंदे से लटके मिले।

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परिजनों का आरोप: आत्महत्या नहीं, यह हत्या है!

मृतकों के परिवारजनों ने आरोप लगाया है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सुनियोजित हत्या है जिसमें गांव में तैनात पुलिसकर्मी शामिल हैं। आरोप है कि हिंसा के बाद पुलिस लगातार ग्रामीणों के साथ मारपीट कर रही थी। मृतक के रिश्तेदारों ने दावा किया कि औसेरी को पुलिस ने पीटा था, और उसी के बाद से उसने घर का दरवाजा नहीं खोला।

सीबीआई जांच की मांग और प्रशासन की कार्रवाई

पोस्टमॉर्टम के बाद जब पुलिस शव लेकर गांव पहुंची, तब परिजनों ने शवों को लेने से मना कर दिया। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की और एसडीओपी अंकिता सूल्या को निलंबित करने की शर्त रखी।

प्रशासन ने समझाइश के बाद अंततः एसडीओपी को हटाकर रीवा IG ऑफिस अटैच कर दिया। साथ ही कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच की घोषणा की है।

टाइमलाइन: घटना की पूरी समयरेखा

15 मार्च को गडरा गांव में एक युवक सनी द्विवेदी की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद हुई झड़प में एक एएसआई की मौत और कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। तभी से गांव में धारा 144 लागू है और पुलिस तैनात है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ही अब अत्याचार का कारण बन चुकी है।

क्यों ज़रूरी है इस मामले में न्याय?

तीन निर्दोष लोगों की मौत, जिनमें दो मासूम बच्चे भी शामिल हैं

पुलिस पर गंभीर आरोप

ग्रामीणों में भय और गुस्सा

सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच की मांग

क्या मिलेगी न्याय की रोशनी

गडरा गांव की यह घटना सिस्टम की संवेदनहीनता और ग्रामीणों की असुरक्षा को उजागर करती है। जब पुलिस ही सवालों के घेरे में आ जाए, तो जनता का विश्वास डगमगाने लगता है। अब सवाल यह है — क्या सीबीआई जांच से न्याय मिलेगा? या यह मामला भी अंधेरे में गुम हो जाएगा।

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