राजनीति

क्या टूटेगा शिमला समझौता? जानिए भारत को कैसे मिलेगा फायदा

शिमला समझौते का टूटना दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक मोड़ हो सकता है। जहां पाकिस्तान इसका राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहता है, वहीं भारत इस मौके को अपनी सुरक्षा और कूटनीतिक बढ़त के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के संकेत दिए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी है। आइए जानते हैं कि शिमला समझौता क्या है और इसके टूटने से दोनों देशों पर क्या असर हो सकता है।

शिमला समझौता क्या है

1971 के भारत-पाक युद्ध में हार के बाद 2 जुलाई 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच यह समझौता हुआ था। इसका उद्देश्य था – युद्ध के बाद दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाना और भविष्य में आपसी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना।

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समझौते की प्रमुख बातें

सभी विवाद आपसी बातचीत से सुलझाने पर सहमति बनी, जिससे भारत को कूटनीतिक बढ़त मिली।

दोनों देशों ने यह तय किया कि किसी भी मसले पर सैन्य बल का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

1971 युद्ध के बाद जो नई नियंत्रण रेखा बनी, उसे दोनों देशों ने मान्यता दी।

भारत ने 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को बिना शर्त रिहा कर दिया और कब्जे की गई ज़मीन का अधिकांश हिस्सा भी लौटा दिया।

पाकिस्तान ने किया कई बार उल्लंघन

समझौते के बावजूद पाकिस्तान ने कश्मीर मसले को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया। संयुक्त राष्ट्र से लेकर OIC तक, हर मंच पर वह भारत के खिलाफ झूठा प्रचार करता रहा है।

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अगर समझौता टूटता है तो भारत को क्या लाभ

  • 1. सेना को खुली छूट: भारत को अपनी सैन्य रणनीतियों को बिना किसी समझौते की बाधा के लागू करने की छूट मिलेगी, जैसा ऑपरेशन मेघदूत के समय हुआ था।
  • 2. सीमा सुरक्षा में इजाफा: भारत आतंक प्रभावित क्षेत्रों की सुरक्षा को और मज़बूत कर सकेगा।
  • 3. कूटनीतिक लाभ: भारत वैश्विक मंचों पर अपने सहयोगियों जैसे अमेरिका, इज़रायल और खाड़ी देशों की मदद से पाकिस्तान को अलग-थलग कर सकता है।

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