एकात्मक पर्व आचार्य शंकर जीवन दर्शन पर व्याख्यान का हुआ आयोजन
सीधी अद्वैत वेदांत के प्रणेता भारत की अखंडता एवं एकता के द्वारा सनातन समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए अकल्पनीय अद्भुत शिव के अवतार आचार्य शंकर की जयंती के पावन अवसर पर मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद जिला सीधी द्वारा एकात्मक पर्व आचार्य शंकर जीवन दर्शन पर व्याख्यान का आयोजन रोली मेमोरियल जिला सीधी में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ लहरी सिंह द्वारा शंकराचार्य जी के बताए हुए रास्ते में समाज को चलने के लिए प्रेरणा दी गई।
उन्होंने अपने व्याख्यान में आदि शंकराचार्य जी के सामाजिक समरसता पर बल देते हुए यह बताया गया कि सभी समान है, सभी बराबर हैं, जाति भेदभाव और बुराइयों को दूर कर हम इस आयोजन के संदेश को समाज में पहुंचा सकते हैं। हिंदू समाज में छुआछूत के कारण कई बुराइयां पैदा हुई और समाज बटा तथा सनातनी समाज के कई लोगों ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया जबकि सनातन और बौद्ध है एक ही रीति नीति से चलते हैं किंतु बौद्ध धर्म छुआछूत ना होने के कारण सनातनी बौद्ध धर्म को स्वीकार किया। हमारे आचार व्यवहार में जाति वर्ण जैसे अहंकार नहीं होने चाहिए। आदि शंकराचार्य 16 वर्ष की उम्र में 35 ग्रंथों की रचना की सामान्य नहीं है बल्कि यह विलक्षण प्रतिभा मानी जानी चाहिए।