जानिए BSP छोड़ BJP मे क्यों शामिल हुए एडवोकेट मृगेंद्र सिंह सेंगर!

जानिए BSP छोड़ BJP मे क्यों शामिल हुए  एडवोकेट मृगेंद्र सिंह सेंगर! 

रीवा जिले के मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले एडवोकेट मृगेंद्र सिंह रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के हाथों भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सभी को चौंका दिया

आखिर मृगेंद्र सिंह भाजपा की सदस्यता क्यों लिए इस बात को लेकर क्षेत्र में जन चर्चाओं का बाजार गर्म है!

कई लोग कह रहे है कि भाजपा से उन्हें टिकट मिलने की संभावना प्रवल है

तो कई लोग कह रहा है की पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना को एक बार फिर सबक सिखाने के लिए उन्होंने भाजपा का दामन थामा है!

लोगों की यह बातें भी झूठलाई नहीं जा सकती, क्योंकि वर्ष 2018 के बिधानसभा चुनाव मे मृगेंद्र सिंह की वजह से सुखेन्द्र सिंह को पराजय जैसा दिन देखना पड़ा था

!क्योंकि इन्होंने बीएसपी से चुनाव लड़ा और 28 हजार से ज्यादा मत अर्जित किए थे जिसकी वजह से 10 हजार मतों के लगभग से भाजपा कि प्रदीप पटेल ने कांग्रेस के पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना को पराजित कर जीत हासिल किया था

एडवोकेट मृगेंद्र सिंह वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव बीएसपी के सिंबल से मैदान मे थे,पर 28 हजार के लगभग मत पाकर उन्हें तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा

चुनाव परिणाम के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने

एडवोकेट मृगेंद्र सिंह बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर कमलनाथ के हाथों कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले लिए

पर मऊगंज में सुखेंद्र सिंह बन्ना की वजह से कांग्रेस की राजनीति में एडवोकेट मृगेंद्र सिंह ने कोई खास सक्रियता नहीं दिखाई, 8 माह बाद मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं

कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद पार मृगेंद्र सिंह कांग्रेस में टिके थे, पर धीरे-धीरे कांग्रेश नेताओं की दगाबाजी उनके समझ में आने लगी,करीब 4

माह हुआ मृगेंद्र सिंह भाजपा के बड़े नेताओं के संपर्क सूत्र से जुड़ गए, जरूरी नहीं कि भाजपा की सदस्यता लेने के बाद मृगेंद्र सिंह का टिकट फाइनल है

सूत्रों की माने तो वर्तमान विधायक प्रदीप पटेल ही अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी होंगे और मृगेंद्र सिंह भाजपा के लिए कार्य करेंगे

2023 के चुनाव मे भाजपा की सरकार बनी तो मृगेंद्र सिंह को निगम मंडल जैसे सम्मानित पद देने पर विचार हो सकता है

पर जिसका नाम ही राजनीति है कुछ कहा जा नहीं सकता क्योकि राजनीति में सब कुछ संभव है! 

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