मध्य प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री ने हुकुमचंद मिलकर मजदूर को एक बड़ी सौगात दे दी है मजदूर और सूजन का 32 वर्ष का इंतजार 19 दिसंबर को खत्म हो गया मंगलवार दोपहर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने मजदूरों और मिलकर अन्य देनदारों के भुगतान के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं देर शाम सभी देनदारो के खाते में पैसा पहुंच गया है 8595 मजदूर वह स्वजनों का सपना पूरा हो गया जो कई बरसों से अटका पड़ा था।
मजदूरों के भुगतान के लिए परिसमापक के खाते में 217 करोड़ 89 लाख रुपये का भुगतान पहुंच चुका है अब यह पैसा वहां से खातों की जांच के बाद मजदूरों के खाते में पहुंचेगा। बुधवार को हुकमचंद मिल मामले में हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई में इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी शासन कोर्ट को देगा हाउसिंग बोर्ड ने करीब डेढ़ सप्ताह पहले ही मिल के देनदारों के लिए 425 करोड़ 89 लाख रुपये स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआइ) की भोपाल शाखा में जमा करा दिए थे।
मजदूरों के खाते में पहुंचने का सिलसिला संभवत: 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री की उपस्थिति में होगा। 32 वर्ष पहले 12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल बंद हुई थी। हाई कोर्ट ने 6 अगस्त 2007 को मजदूरों के पक्ष में मुआवजा तय किया था, लेकिन इस राशि का पूरा भुगतान मजदूरों को नहीं हो सका वर्ष 2017 में कोर्ट के आदेश पर शासन ने मजदूरों के लिए ₹50 करोड़ जारी किए थे।
मजदूरों का भुगतान मिल की जमीन को बेचकर होना था, लेकिन जमीन बिक नहीं सकी। हाल ही में मप्र गृह निर्माण मंडल ने नगर निगम के साथ मिलकर मिल की जमीन पर व्यावसायिक और आवासीय प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति जताते हुए समझौता किया है कोर्ट के आदेश के बाद गृह निर्माण मंडल ने मिल के देनदारों को देने के लिए 425 करोड़ ₹89 लाख की राशि बैंक में जमा भी करा भी दी।
https://prathamnyaynews.com/career/35207/