रीवा

नहर अधूरी पूरी कर दो, मांग हमारी पूरी कर दो कब जागोगे मामा प्यारे, पानी बिन मर रहे बेचारे, ग्रामीणों ने पानी की समस्या को लेकर एक बार फिर से आवाज किया बुलंद

नहर अधूरी पूरी कर दो, माग हमारी पूरी कर दो कब जागोगे मामा प्यारे, पानी बिन मर रहे बेचारे।

जल जीवन जागरण यात्रा के चौथे चरण में सिरमौर तहसील में जनता ने मोदी और मामा के विरूद्ध लगाए नारे जल जीवन जागरण यात्रा का दौर जारी।

“नहर अधूरी पूरी कर दो, माग हमारी पूरी कर दो।।

कब जागोगे मामा प्यारे, पानी बिन मर रहे बेचारे”।।

जैसे नारों के साथ जल जीवन जागरण यात्रा के चौथे पड़ाव में रीवा जिले के सिरमौर तहसील के किसानों और ग्रामीणों ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम अपना संदेश पहुंचाने का प्रयास किया।

यह वाकया उस समय का है जब भीषण गर्मी का दौर आ चुका है और अब जगह-जगह पानी की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। विधायक और सांसद निधियों से घर-आंगन के बीच खोदे गए नलकूप सूखने लगे हैं। कुएं तालाब तो काफी पहले ही सूख चुके हैं। अमृत सरोवर कागजों पर बनाए जा रहे हैं। पुराने तालाबों पर तो बेजा अतिक्रमण हो चुका है। रीवा जिले में तो 7 कलेक्टरों ने हाई कोर्ट जबलपुर को भ्रामक हलफनामा भी प्रस्तुत कर दिया और यह तक बता दिया कि 200 से अधिक सरकारी अतिक्रमित तालाबों का अतिक्रमण हटाया जा चुका है। यह सब किसी बुरे सपने से कम नहीं लग रहा। अप्रैल महीने का आखिरी सप्ताह चल रहा है गांव मुहल्लों सड़कों पर बच्चे औरतें बुजुर्ग साइकल और हाथ में डिब्बा-बाल्टी लिए हुए देखे जा सकते हैं। आपको ताजुब हो रहा होगा कि आखिर हम यह कौन सी तस्वीर आपको दिखाना चाह रहे हैं। घबराइए नहीं यह अमृतकाल का दौर है और इस अमृतकाल के दौर में जनता को पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा हो तो ताजुब नही होना चाहिए क्योंकि अमृतलाल में अमृत की आस में पानी को तो त्यागना ही पड़ेगा। जब चातक पक्षी भी मात्र स्वाति नक्षत्र का ही वर्षा का जल ग्रहण करता है तो अमृतकाल के लिए अमृत का इंतजार तो करना ही पड़ेगा। है न हैरान कर देने वाली बात जहां एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रीवा की धरती पर आकर 7हजार 800 करोड़ रुपए से अधिक सिंचाई और जल जीवन मिशन से जुड़ी हुई परियोजनाओं की घोषणाएं और शिलान्यास करके जाते हैं और अगले ही दिन आपको हैरान कर देने वाली ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं जिसमें स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर आज तक जो भ्रष्टाचार की इबारत कुछ नेताओं कमीशनखोर अधिकारियों और दलालों ठेकेदारों के द्वारा लिखी गई है वह देखने को मिल रही है। भले ही नरेंद्र मोदी और मामा शिवराज सिंह चौहान अरबों खरबों की नहर और सिंचाई परियोजनाओं की रोज घोषणा करें इस बात से कमीशनखोर अधिकारियों नेताओं और ठेकेदारों को कोई विशेष अंतर पड़ने वाला नहीं है। कहते हैं हृदय परिवर्तन वहां होता है जहां ह्रदय होता है लेकिन सिर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार में डूबे इस तंत्र में हृदय परिवर्तन होकर भ्रष्टाचार से दूरी बना पाना शायद इन हृदय-विहीन नेताओं कमीशनखोर अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए नामुमकिन सा है। चाहे वह त्यौंथर बहाव परियोजना हो अथवा 855 करोड़ से अधिक की लागत की जागृत अवस्था में सपने दिखाने वाली नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट सभी के हाल बेहाल हैं। ठेकेदार कमीशनखोर अधिकारियों की मदद से जनता के टैक्स के पैसे को चंपत लगाकर फरार हो गए हैं। जगह-जगह अधूरी पड़ी हुई और अप्रारंभ नहर परियोजनाएं इनके कुकर्मों को बयान कर रही हैं। रही सही कसर कुछ भ्रष्ट विधायक और सांसद पूरी कर देते हैं जो सरेआम भ्रष्टाचार का महिमामंडन करते हैं और अपने चहेते ठेकेदारों को कमीशन के चक्कर में टेंडर जारी करवा देते हैं फिर जब काम पूरा नहीं होता तो दुगुने रेट से पुनः संशोधित टेंडर जारी होते हैं और इस प्रकार टेंडर पर टेंडर जारी कर बराबर जनता के टैक्स के पैसे और सरकारी खजाने में चपत लगा रहे हैं। चाहे वह विधानसभा हो या लोकसभा विंध्य क्षेत्र और रीवा जिले की बाणसागर और टमस से संबंधित नह परियोजनाओं की बदहाली के प्रश्न कहीं किसी असेंबली में उठते नजर नहीं आ रहे। विधायक और सांसद भूलकर कभी कुछ प्रश्न विधानसभा और लोकसभा में पूछ भी लेते हैं तो इसके बाद जब उनकी जेबें भर जाया करती हैं तो प्रश्न ही गायब हो जाते हैं। अभी कुछ महीनों में मप्र में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं तब कुकुरमुत्ता की तरह पैदा हुए नेता ग्रामीण जनता की चौखट पर दर-दर जाकर वोट की भीख मांगते नजर आएंगे। 

RTI एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी

सिरमौर तहसील में जल संकट को लेकर चौथी बार आयोजित हुई जल जीवन जागरण यात्रा

अब यदि रीवा जिले की सिरमौर तहसील और गंगेव जनपद को ही ले लिया जाए तो लालगांव और उसके आसपास आने वाले लगभग 50 से अधिक ग्रामों में भीषण जल संकट है और जल अभाव क्षेत्र घोषित है। ऐसे में यहां की जनता आए दिन अपनी बातों को उठाती रहती है और आंदोलन करती रहती है लेकिन कुंभकर्णी निद्रा में सोए हुए यह जनप्रतिनिधि हैं कि जागने का नाम नहीं ले रहे और एयर कंडीशनर में बैठकर मजे मार रहे हैं। खैर जनता भी है कि सब जानती है और आगे आने वाले चुनावों में इन्हे माकूल जवाब भी देगी। 

समाचार

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