प्राकृतिक सुंदरता और इतिहास को समेटे हुए रीवा के ड्यूटी फोर्ट प्रशासनिक उपेक्षा से खो रहा है वजूद
यू तो रीवा जिला पर्यटन के क्षेत्र में काफी धनी रही है रियासत काल में भी यहां प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए राजपरिवार उपर स्थान पर शानदार अभियान बना रखकर उसे संरक्षित करने का काम करते रहे हैं उनमें से एक क्योटी वाटरफॉल में लगी हुई क्यूटी घड़ी है जो कि आदरणीय प्रकृति की सुंदरता और इतिहास को समेटे हुए है लेकिन शासन प्रशासन की उपेक्षा के चलते अब यह घड़ी का वजूद खोती जा रही है यह बीमार देखकर के अभाव में लगातार जर्जर होने के साथ ही गिरने के कगार पर पहुंच चुकी है
पुरातत्व विभाग लगा रहा है अपना बोर्ड
क्यूटी की घड़ी के प्रवेश द्वार पर पुरातत्व विभाग का बड़ा सा बोर्ड लग चुका है यूं कहें कि यह घड़ी अब पुरातत्व विभाग के अधीन है लेकिन जिस तरह से खूबसूरत भव्य भवन गिरने की कगार पर है उसे बचाने के लिए कदम शासन प्रशासन के द्वारा नहीं उठाया जा रहा है
यहां पर लगते रहे हैं कई मेले
क्यूटी की घड़ी का महत्व सदैव रहा है यहां प्रतिवर्ष मकर संक्रांति बसंत पंचमी आज पर्व पर भव्य मेला लगातार लग रहा है इससे दूरदराज से व्यापारी पहुंच रहे हैं वहीं बिंद क्षेत्र को इस घड़ी की अनुपम छटा को देखने के साथ मेले का आनंद उठाते रहे हैं आज ही क्यूटी की घड़ी और उससे लगे हुए भव्य जलप्रपात की सुंदरता को देखने के लिए न सिर्फ आसपास के लोग बल्कि विंध्य क्षेत्र सहित यूपी और बिहार के पर्यटक यहां पर पहुंच रहे हैं
असामाजिक तत्वों का अड्डा बनी घड़ी
शासन प्रशासन की उपेक्षा के चलते यहां भव्य 1ab गिर गिर रहा है वहीं यह घड़ी अब असामाजिक तत्वों के हवाले है यहां पर हर समय नशेड़ी वह चोर छक्कों के सक्रिय रहते हैं जिससे यहां भय का वातावरण निर्मित हो रहा है यही वजह है कि पर्यटकों का मोहभंग होने लगा है
ऐसी है इसकी खूबसूरती
क्यूटी की घड़ी का निर्माण कार्य पंद्रह सौ ईस्वी में राजा परमल देव के द्वारा करवाया गया था ऐसा कुछ उल्लेख मिलता है कि इसमें भव्य प्रवेश द्वार जिसमें खूबसूरत नक्काशी की गई है यहां पर पत्थर पर निर्मित कलाकृतियों को देखने की मिलती है या इसकी के किले में आयताकार कक्ष है जिसका उपयोग शायद दीवाने खास के रूप में किया जाता रहा होगा
क्यूटी की घड़ी दोनों तरफ से बुजुर्ग भी बनाए गए हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है हिंदू सेना के आसपास निकलने से किले की निगरानी करती रही है पूरे काल में बहुत सारे कमरे देखने को मिलते हैं जो जो खंडहर में तब्दील हो गए हैं इतना ही नहीं यहां बहुत सारी प्राचीन चीजें हैं जिनका उपयोग प्राचीन समय में होता रहा है
घड़ी से दिखता है प्राकृतिक सुंदरता का पूरा नजारा
छत्तीसगढ़ी का निर्माण यहां के प्राकृतिक सुंदरता के हिसाब से किया गया था दरअसल इसके पिछले भाग के ऊपर केवटी जलप्रपात की पूरी घाटी देखने को मिल जाती है यहां से जलप्रपात का अद्भुत नजारा साफ देखा जा सकता है घड़ी के पिछले भाग से क्योटी जलप्रपात भैरव बाबा मंदिर और राम जानकी का मंदिर भी देख सकते हैं
यहां बहुत जगह अच्छी है और प्राकृतिक के साथ-साथ ऐतिहासिक भी हैं जो पर्यटक हिसाब से बेहतर यहां पर अक्सर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाते हुए पहुंचते हैं वही पर्वतों के हिसाब से इसके पिछले भाग में जलिया लगा दी गई है जिसका की घाटी से कोई भी गिर जाए
फिल्मों में दिखाए जाते हैं यहां के सीन
क्यूटी की घड़ी को फिल्म जगत में भी कई बहुत महत्व दिया गया है इस घड़ी में विद्या बंदूक सहित हिंदी फिल्म में फिल्माई गई हैं कुछ वर्ष पूर्व बघेली फिल्मी इस घड़ी में अनुपम देशों को शामिल किया गया बताते हैं कि इस घड़ी में अंग्रेजों ने जब हमला किया था तो भयंकर युद्ध हुआ था और अंग्रेजों के छक्के छूट गए थे आजादी के क्रांति के उजाले को जलाने के लिए क्रांतिकारी ठाकुर रन्मत सिंह ने पकड़ने के लिए अंग्रेजों की सेना लगातार लगी थी
और वह क्यूटी घड़ी के अपने साथियों के साथ ठहरे हुए थे जहां अंग्रेजों को इसकी कोई भनक नहीं लगी थी अंग्रेजों ने अपनी सेना के साथ ड्यूटी की घड़ी में धावा बोल दिया था ऐसे में रोडवेज सिंह और उनकी सेना अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब दिया था