मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला हाल ही में उत्तर प्रदेश के पवित्र नगर वृंदावन पहुंचे, जहां उन्होंने विश्वप्रसिद्ध संत और वृंदावन के महंत, प्रेमानंद जी महाराज के दरबार में उपस्थित होकर उनका आशीर्वाद लिया। यह मुलाकात न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही, बल्कि इसमें सेवा, ईमानदारी और राष्ट्र निर्माण के गहरे संदेश भी निहित रहे।
वृंदावन, जो श्रीकृष्ण की लीलाओं की भूमि के रूप में संपूर्ण विश्व में विख्यात है, संतों और भक्तों का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है। यहां के प्रमुख महंत प्रेमानंद जी महाराज अपनी सरलता, भक्ति और प्रेमभाव के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। उनके प्रवचन और जीवनशैली लोगों को सच्चाई, निस्वार्थ सेवा और भगवान के प्रति प्रेम की प्रेरणा देते हैं।
जब उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला प्रेमानंद जी महाराज के दरबार में पहुंचे, तो महाराज ने उन्हें आत्मीयता से स्वागत करते हुए आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर महाराज ने कहा कि “जीवन में ईमानदारी से धन अर्जन और ईमानदारी से काम करना ही सच्ची सफलता है। जब व्यक्ति भगवान का नाम लेते हुए और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए देश की सेवा करता है, तभी वह वास्तव में धन्य होता है।”
महाराज ने यह भी बताया कि वर्तमान समय में राजनीति और प्रशासन के क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने पद का उपयोग केवल जनसेवा के लिए करें। उन्होंने उपमुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे मध्यप्रदेश के विकास में न केवल आर्थिक प्रगति बल्कि नैतिक मूल्यों को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
राजेंद्र शुक्ला ने भी प्रेमानंद जी महाराज के आशीर्वाद को अपने जीवन की बड़ी प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा, “महाराज के सान्निध्य में आकर मुझे यह महसूस हुआ कि सच्चा नेतृत्व वही है जो जनकल्याण और ईमानदारी के सिद्धांतों पर आधारित हो। मैं उनके आशीर्वाद से प्रदेश और देश के विकास में अपना सर्वोत्तम योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
इस मुलाकात के दौरान वृंदावन का वातावरण भक्ति और आध्यात्मिकता से सराबोर था। भक्तगण हरि नाम संकीर्तन में मग्न थे, और दूर-दूर से आए श्रद्धालु प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन का लाभ ले रहे थे।
यह मुलाकात न केवल उपमुख्यमंत्री के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव बनी, बल्कि एक संदेश भी लेकर आई कि ईमानदारी, सेवा और भगवान के प्रति अटूट विश्वास के साथ ही देश को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है। प्रेमानंद जी महाराज के ये उपदेश आज के दौर में हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन का काम कर सकते हैं।
वृंदावन की इस पावन धरती से उठी यह प्रेरणा संदेश देती है कि सत्ता और पद से बढ़कर सत्य, सेवा और भक्ति है—और यही मूल मंत्र समाज को मजबूत और राष्ट्र को महान बनाता है।