राहुल की यात्रा में बुलेट क्वीन जिस बुलेट को चलाकर राहुल ने कांग्रेस को दौड़ाया उसी पर चलती है माउल
रविवार सुबह इंदौर में राहुल गांधी नए अंदाज में दिखे। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के बीच ही सड़क पर बुलेट दौड़ा दी। उनकी बुलेट के पीछे पूरी कांग्रेस दौड़ पड़ी। आखिरकार इस बुलेट की एंट्री इस यात्रा में हुई कैसे और इसके पीछे जो लकड़ी का बेड है, वो किसके लिए है? इसकी कहानी आपको गुदगुदा देगी। आपको बताते हैं बुलेटवाले और उसकी ‘बेटी’ की कहानी
खबर विस्तार से
ये बुलेट है ग्वालियर के रजत पाराशर की। रजत पेशे से इंजीनियर हैं और हाल ही में जॉब को अलविदा कह दिया है। वे चार दिन पहले इस यात्रा से जुड़े हैं। इसके लिए उन्होंने ग्वालियर से बुरहानपुर तक का सफर 21 घंटे में बुलेट से तय किया था।
उनके पीछे थी उनकी बेटी ‘माउल’। दरअसल, ‘माउल’ इंसान नहीं, बल्कि उनकी डॉगी का नाम है। राहुल गांधी की यात्रा में वो भी पिछले पांच दिन से बुलेट पर रजत के साथ पीछे बैठकर चल रही है।
रजत बताते हैं, मेरे पास दो डॉगी हैं। मैं सफर में इसलिए जुड़ा, क्योंकि सोच अच्छी है। मैंने राहुल गांधीजी से यही कहा कि जानवरों के लिए मध्यप्रदेश में अच्छे अस्पताल नहीं हैं। उन्होंने मेरी बात सुनी और आश्वस्त किया।
रजत ने बताया
असल में मेरी पीड़ा यह है कि मेरी दूसरी डॉगी को ट्यूमर हो गया था। उसके इलाज के लिए भटका, पर कुछ नहीं हुआ। अंतत: ट्यूमर के ऑपरेशन के लिए मुझे तमिलनाडु जाना पड़ा। तब से मेरे मन में टीस है कि लंपी वायरस आया तो हजारों गायों की मौत हो गई। आखिर सरकार ने जानवरों को इतना अलग कैटेगरी में क्यों रख रखा है
सफर में 5वें दिन जब यह बुलेट राहुल गांधी ने दौड़ाई, तो अचानक सबकी नजर बुलेट के पीछे लगे उस बेड पर गई, जो गाड़ी की पिछली सीट की जगह पर है। असल में यह स्पेशल बैड डॉगी ‘माउल’ के लिए ही तैयार कराया है। इससे पहले वो इसी तरह कश्मीर तक का सफर कर चुकी है
दो दिन ढाबे पर ही सोए दोनों
भारत जोड़ो यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। रजत सीधे मध्यप्रदेश के स्टार्टिंग पॉइंट बुरहानपुर से यात्रा में जुड़े। ऐसे में उन्हें पहले कैंप में एंट्री नहीं मिल सकी। वे ‘माउल’ के साथ दो रात ढाबों पर ही गुजारकर यात्रा के पीछे चलते रहे। जब यात्रा खंडवा जिले में पहुंची, तो उन्हें कैम्प में जगह मिल गई। वहीं पास में ‘माउल’ को अलग से सुलाना पड़ा।
राहुल ने कंटेनर देने की बात कह दी
इंदौर में जब राहुल गांधी तक वे पहुंचे, तो उन्होंने बुलेट ऑफर की। राहुल ने भी बात मान ली और राऊ में यह बुलेट चलाई। उनके पीछे सभी लोग दौड़ते नजर आए। राहुल ने भी कंटेनर देने की बात कह
कैंप में सबसे अलग लगता है बिस्तर
अभी कैंप में एंट्री मिलने से हॉल में कोने में रजत का बिस्तर लगता है। ‘माउल’ इसी के पास बैठती और आराम करती है। रजत का कहना है कि उनके पास यदि कोई नहीं जाता, तो वो किसी को परेशान नहीं करती। बुलेट पर भी उसे कोई परेशानी नहीं होती। वो इसके लिए बिल्कुल ढल चुकी है।
साइकिल से लद्दाख जाना चाहते हैं राहुल
रजत ने बताया जब राहुलजी को मैंने अपने बुलेट यात्राओं के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि मेरा भी सपना है कि साइकिल से लद्दाख तक जाऊं। जल्द ही इसके लिए सोच भी रहा हूं। उन्होंने डॉगी के अस्पताल के संबंध में कहा कि इस पर भी भविष्य में जरूर कुछ करेंगे।
आज यात्रा का 5वां दिन
मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा का आज रविवार यानी 27 नवंबर को पांचवां दिन है। 28 नवंबर को यात्रा का ब्रेक-डे रहेगा। यात्रा की एंट्री 23 नवंबर को बुरहानपुर से हुई। मध्यप्रदेश के 6 जिलों से होते हुए यात्रा राजस्थान जाएगी। आज यात्रा इंदौर में है।