सरकार की अनदेखी सिहोरा जिला बनने की सबसे बड़ी बाधक
सिहोरा जिला की मांग पर 43 वें रविवार भी धरना
सिहोरा:- सिहोरा तहसील के टुकड़े कर बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा और मझौली को तहसील बना उनके कद में वृद्धि की गई पर खंडित सिहोरा की राजनैतिक अनदेखी ने इक्कीस वर्षो के बाद भी जिला नही बनने दिया।सिहोरा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर प्रत्येक रविवार को दिया जा रहा धरना 43वे रविवार भी जारी रहा।धरने में अनेक सामाजिक धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ साथ युवा वर्ग ने भी सहभागिता की।
विदित हो कि सिहोरा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के बैनर तले पिछली 10 अक्टूबर 2021 से प्रत्येक रविवार को शाम 5 बजे से 7 बजे तक धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।समिति के लगातार धरने के 43 रविवार हो गए।
*क्या है पूरा मामला:-*
21 अक्टूबर 2001 को पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा सिहोरा जिला घोषित किया गया
11 जुलाई 2003 को सिहोरा जिला के राजपत्र का प्रकाशन हुआ
06 जून 2004 को पुनः मुख्यमंत्री उमा भारती ने सिहोरा जिला घोषित किया।
लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के आह्वान पर धरनारत विकास दुबे ने कहा कि सिहोरा की राजनैतिक अनदेखी जिला न बन पाने का सबसे बड़ा कारण है।सेवानिवृत्त प्राध्यापक नागेन्द्र क़ुररिया ने कहा कि सिहोरा को जिला बनाने की सारी परिस्थितियाँ अनुकूल है,सरकार को सिहोरा के साथ न्याय करना होगा।अधिवक्ता राजभान मिश्रा ने राजपत्र जारी होने के बाद भी सिहोरा के जिला न बनने पर आश्चर्य व्यक्त किया और इसे लोकल राजनीति की विफलता बताया।व्यापारी सुशील जैन ने कहा कि भौगोलिक रूप से बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा और मझौली क्षेत्र के लिए सिहोरा जिला होना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
*जिला बनने तक जारी रहेगा धरना:-* लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति सिहोरा के अनिल जैन,मानस तिवारी,सियोल जैन,अमित बक्शी ने दोहराया कि जब तक सिहोरा जिला अस्तित्व में नही आ जाता तब तक प्रत्येक रविवार धरना जारी रहेगा।
आज के धरने में कृष्ण कुमार क़ुररिया, रामजी शुक्ला,गुड्डू कटेहा,पी के व्योहार,शालिग्राम पाठक सहित अनेक सिहोरावासी मौजूद रहे।।
संवाददाता-अज्जू सोनी उमरिया पान ढीमरखेड़ा कटनी