120 करोड़ की लापरवाही: आजीविका और पोषण योजनाओं में घपलों की गूंज
ग्रामीण आजीविका मिशन और पोषण आहार योजना में करोड़ों की हेरा-फेरी,CAG की रिपोर्ट ने खोली भ्रष्टाचार की परतें, कार्रवाई अब भी अधूरी

मध्य प्रदेश की सत्ता में बदलाव के बाद भी पुराने शासनकाल के घोटाले नई सरकार के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। शिवराज सरकार के कार्यकाल में सामने आए ग्रामीण आजीविका मिशन और पूरक पोषण आहार योजना में हुए करोड़ों के घोटाले अब मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार के गले की हड्डी बन चुके हैं। जांचें तो शुरू हुईं, लेकिन अब तक दोषियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।
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अजीविका मिशन में मनमानी नियुक्तियों का मामला
पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी एल.एम. बेलवाल पर आरोप है कि उन्होंने उस समय के मंत्री गोपाल भार्गव के निर्देशों को दरकिनार कर मनचाही नियुक्तियाँ कीं। यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा और तीन बार जांच भी हुई, जिसमें अनियमितताएं साबित हुईं। इसके बावजूद अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की कथित शह के चलते कोई सजा नहीं दी गई।
तीन जांच रिपोर्टों ने गड़बड़ियों की पुष्टि की
अब तक न कोई निलंबन, न विभागीय दंड
मामला नौ सालों से अधर में लटका है
पोषण आहार घोटाला आंकड़ों की बाज़ीगरी से 120 करोड़ की हेरा-फेरी
कैग (CAG) की रिपोर्ट ने पूरक पोषण आहार योजना में चौंकाने वाले खुलासे किए। “टेक होम राशन” का परिवहन ट्रकों की बजाय मोटरसाइकिल, ऑटो और कारों से दिखाया गया।
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62.72 करोड़ रुपए का राशन न गोदामों में मिला, न रिकॉर्ड में
बिजली और कच्चे माल की खपत में अंतर दिखाकर 58 करोड़ का फर्जी उत्पादन दिखाया गया
मुख्य सचिव को स्वतंत्र जांच की सिफारिश के बावजूद कार्रवाई नहीं
MP Agro की भूमिका पर भी उठे सवाल
राजनीतिक संरक्षण बना ढाल
इन मामलों में संलिप्त अधिकारियों में कई ऐसे हैं जो पहले मुख्यमंत्री कार्यालय का हिस्सा रह चुके हैं। यह भी माना जा रहा है कि इसी वजह से अब तक इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।
अब क्या करेगी मोहन सरकार
CM मोहन यादव के सामने चुनौती है कि क्या वे इन गंभीर मामलों में निष्पक्ष जांच करवा पाएंगे या फिर राजनीतिक दबाव में ये फाइलें भी ठंडे बस्ते में चली जाएंगी।