320 करोड़ वर्ष पहले विश्व में सबसे पहले कहा की समुद्र से निकली थी धरती, भारत का ये शहर अब इस नाम से जाना जाता है

पृथ्वी के जन्म के बाद क्या सिंहभूम पहला ऐसा स्थान था जहाँ समुद्र में डूबी पहली भूमि क्रैटन के रूप में पानी से निकली थी?

प्रसिद्ध अमेरिकी विज्ञान पत्रिका ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) में पिछले  प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सिंहभूम क्रेटन का जन्म 310 मिलियन वर्ष पहले हुआ था,

जिसका अर्थ है कि यह क्षेत्र पहले पानी से उभरा था। तब समुद्र के अंदर जमीन थी। लेकिन, पृथ्वी के 50 किमी के भीतर एक बड़े ज्वालामुखी विस्फोट के कारण पृथ्वी का यह हिस्सा (सिंहभूम क्रेटन) समुद्र से उभरा।

लंबे शोध के बाद ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और अमेरिका के आठ शोधकर्ताओं ने यह शोध लेख लिखा है। इनमें से चार विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के हैं। इसके प्रमुख लेखक डॉ. प्रियदर्शी चौधरी हैं,

जो ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठित मोनाश यूनिवर्सिटी में रिसर्च फेलो हैं। वह वहां के स्कूल ऑफ अर्थ एटमॉस्फियर एंड एनवायरनमेंट से जुड़े हुए हैं।

33 साल के डॉ. चौधुरी भारतीय मूल के हैं. उनके परिजन पश्चिम बंगाल के आसनसोल शहर में रहते हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई आसनसोल और कोलकाता के प्रतिष्ठित जादवपुर विश्वविद्यालय से की. साल 2013 से 2018 तक वे जर्मनी में रहे.

वहां से उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की. पिछले तीन साल से वे ऑस्ट्रेलिया में हैं और पृथ्वी पर महाद्वीपों की उत्पति पर शोध कर रहे हैं.

डॉ. प्रियदर्शी चौधुरी ने  कहा, ”सिंहभूम क्षेत्र में ढाई साल तक चले ग्राउंड रिसर्च और बाद में किए गए तकनीकी शोधों के बाद हम ये दावे के साथ कह सकते हैं

 कि सिंहभूम ही दुनिया का पहला क्रेटोन था. सिंहभूम से हमारा मतलब सिर्फ़ झारखंड का सिंहभूम न होकर एक विस्तृत इलाक़ा है. इसमें ओडिशा के धालजोरी, क्योंझर, महागिरि और सिमलीपाल जैसी जगहें भी शामिल हैं.”

वे आगे कहते हैं, ”हमने यहां मिले ख़ास तरह के अवसादी चट्टानों से उनकी उम्र का पता लगाकर जान पाए कि ये 310 से 320 करोड़ साल पुराने हैं.

हमें यहां मिले सैंड स्टोन (बलुआ पत्थर) से हमारे शोध में मदद मिली. उसके बाद हमने यह लेख लिखा. उसे मार्च में दाख़िल किया. फिर रिव्यू की लंबी प्रक्रिया के बाद पिछले हफ़्ते हमारा लेख प्रकाशित हुआ और इस तरह हमारे शोध को मान्यता मिली.”

इस शोध में डॉ. प्रियदर्शी चौधुरी के साथ सूर्यजेंदु भट्टाचार्यी, शुभोजीत राय, शुभम मुखर्जी(सभी भारतीय मूल के), जैकब मल्डर, पीटर केवुड, ऐशली वेनराइट (सभी ऑस्ट्रेलिया) और ओलिवर नेबेल (जर्मनी) शामिल थे.

33 वर्षीय डॉ. चौधरी भारतीय मूल के हैं। उनका परिवार पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रहता है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा आसनसोल और कोलकाता के प्रतिष्ठित जादवपुर विश्वविद्यालय से की। वह 2013 से 2018 तक जर्मनी में रहे।

वहां से उन्होंने अपनी पीएच.डी. पिछले तीन वर्षों से वे ऑस्ट्रेलिया में हैं और पृथ्वी पर महाद्वीपों की उत्पत्ति पर शोध कर रहे हैं।

प्रियदर्शी चौधरी ने बीबीसी को बताया, “सिंहभूम क्षेत्र में ढाई साल के जमीनी शोध और उसके बाद के तकनीकी शोध के बाद, हम विश्वास के साथ कह सकते हैं

 कि सिंहभूम दुनिया का पहला क्रेटन था।” सिंहभूम से हमारा आशय झारखण्ड के सिंहभूम से नहीं बल्कि विस्तृत क्षेत्र से है। इसमें ओडिशा के धलजोरी, क्योंझर, महागिरी और सिमलीपाल जैसे स्थान भी शामिल हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘यहां पाई जाने वाली विशेष प्रकार की अवसादी चट्टानों से हम उनकी उम्र का अंदाजा लगा पाए हैं कि ये 310 से 320 करोड़ साल पुरानी हैं।

यहां मिले बलुआ पत्थर ने हमारे शोध में हमारी मदद की। उसके बाद हमने यह लेख लिखा। इसे मार्च में दायर किया गया था। फिर एक लंबी समीक्षा के बाद हमारा लेख पिछले हफ्ते प्रकाशित हुआ और इस तरह हमारे शोध को मान्यता मिली।

डॉ. प्रियदर्शी चौधरी, सूर्यजेंदु भट्टाचार्य, शुभजीत राय, शुभम मुखर्जी (सभी भारतीय मूल के), जैकब मूल्डर, पीटर क्यूड, एशले वेनराइट (सभी ऑस्ट्रेलिया) और ओलिवर नेबेल (जर्मनी) के साथ अध्ययन में शामिल थे।

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