मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का बंधा कोल ब्लॉक एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां मुआवज़ा पाने की लालच में हजारों फर्जी मकान बना दिए गए। प्रशासन की जांच में 3362 ऐसे मकान पाए गए जो केवल मुआवज़ा प्राप्त करने के उद्देश्य से बनाए गए थे।
बाहरी लोगों का खेल, स्थानीयों की मिलीभगत
जांच में सामने आया कि इन मकानों का निर्माण केवल स्थानीय लोगों ने नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और यहां तक कि यूक्रेन जैसे देशों के लोगों ने भी किया। इनमें से कई लोगों का क्षेत्र से कोई संबंध नहीं था, लेकिन मुआवज़े की उम्मीद में उन्होंने कागज़ों पर ज़मीनें खरीदीं और मकान बना दिए।
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ड्रोन सर्वे ने किया पर्दाफाश
कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला के निर्देश पर ड्रोन सर्वे कराया गया, जिसमें पता चला कि अधिकांश मकान अधिसूचना की तिथि 14 जून 2021 के बाद बनाए गए थे। कई मकानों में ना छत थी, ना खिड़की-दरवाजे, बस एक ढांचा खड़ा कर दिया गया था ताकि मुआवज़ा क्लेम किया जा सके
अब सिर्फ ज़मीन का मिलेगा मुआवज़ा
प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि अब केवल ज़मीन का मुआवज़ा दिया जाएगा, मकानों के लिए नहीं। जिन मकानों का निर्माण अधिसूचना के बाद हुआ है, वे अवैध माने जाएंगे और उनके दावे खारिज किए जाएंगे।
भूमाफिया और दलालों की मिलीभगत उजागर
स्थानीय लोगों ने बाहरी दलालों के ज़रिए प्लॉट बेचे और मिलकर अवैध निर्माण करवा दिए। प्रशासन को इस संबंध में 4000 से अधिक आपत्तियाँ मिलीं, जिनका निराकरण कर अवैध निर्माणों की सूची तैयार की गई।
अधिग्रहण की घोषणा के बाद बढ़ा फर्जीवाड़ा
14 जून 2021 को जिन पांच गांवों — बंधा, देवरी, पचौर, तेंदुहा और पिडरवाह — की 776 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहित करने की अधिसूचना जारी की गई थी, उसके बाद फर्जी निर्माणों की बाढ़ आ गई। 23 दिसंबर को परिसीमन आदेश आते ही यह खेल और तेज़ हो गया।