मध्यप्रदेश के 925 गांवों की बदलेगी किस्मत: वन ग्राम से बने राजस्व ग्राम, अब मिलेगा विकास का अधिकार
अब इन गांवों में मिलेगा बिजली-पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं का हक, फसलों का बीमा भी संभव

मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के ग्रामीण भविष्य को संवारने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य के 925 वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिनमें से 792 गांवों का परिवर्तन कार्य पूरा कर लिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुताबिक, यह बदलाव केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि विकास का नया द्वार खोलने वाला है।
राज्य सरकार द्वारा 6 महीने तक चलाए गए विशेष अभियान के तहत घने जंगलों में बसे इन गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया है। इस निर्णय से गांवों की न केवल पहचान बदलेगी, बल्कि उनकी तस्वीर और तकदीर भी बदलेगी।
अब इन गांवों में जमीनों का कानूनी बंटवारा, नामांतरण, और फसलों की गिरदावरी संभव हो सकेगी। इससे किसानों को न सिर्फ राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ भी मिल पाएगा।
इन गांवों में अब बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य सेवाएं, आंगनवाड़ी केंद्र, स्कूल भवन और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं तेजी से उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा या फसल नुकसान की स्थिति में फसल बीमा योजना का लाभ भी ग्रामीणों को दिया जाएगा।
सीएम मोहन यादव ने बताया कि राज्य के 792 वन ग्रामों को अब तक राजस्व ग्राम में बदला जा चुका है और इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। 66 वन ग्रामों में कार्यवाही प्रगति पर है। इस बदलाव से ग्राम सभा को और अधिक अधिकार मिलेंगे और वनवासियों के कल्याण के लिए योजनाएं भी क्रियान्वित की जा सकेंगी।
जिलावार स्थिति पर नज़र डालें तो बैतूल सबसे आगे है, जहां 91 गांवों को राजस्व ग्राम में बदला गया है। इसके बाद डिंडौरी (86), मंडला (75), खरगौन (65), बड़वानी (64), खंडवा (51), सीहोर (49), छिंदवाड़ा (48), बालाघाट (46) जैसे जिले भी इस पहल में शामिल हैं।
कुछ गांव ऐसे भी हैं जो अब वीरान हो चुके हैं, विस्थापित हो गए हैं या डूब क्षेत्र में आते हैं, इसलिए उन्हें राजस्व ग्राम में बदलने की जरूरत नहीं पड़ी।