रीवा

रीवा का सुनहरा रत्न: सुंदरजा आम की मिठास और महक की कहानी

रीवा की मिट्टी से उपजा, स्वाद और सुगंध से भरपूर सुंदरजा आम देशभर में अपनी मिठास और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है – एक बार चखें और हमेशा याद रखें।

रीवा का गौरव – सुंदरजा आम

भारत के हृदयस्थल मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले में पैदा होने वाला सुंदरजा आम न केवल स्वाद में बेजोड़ है, बल्कि इसकी महक, मिठास और सुनहरी छटा इसे आमों के बीच एक अनमोल रत्न बनाती है। यह आम सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि रीवा की सांस्कृतिक और कृषि विरासत का प्रतीक है।

सुंदरजा की खासियतें

सुंदरजा आम अपनी प्राकृतिक मिठास, रेशेदार रहित गूदा और बारीक सुगंध के कारण जाना जाता है। यह आम आकार में मध्यम होता है लेकिन स्वाद में इतना खास कि एक बार खाने के बाद उसका स्वाद भूलना मुश्किल हो जाता है।

स्वाभाविक मिठास – इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं होती, और इसका रस जिव्हा पर जैसे रसगुल्ला बनकर घुलता है।

रेशेदार रहित गूदा – इसका गूदा बेहद मुलायम होता है, जो इसे खाने में आसान और अत्यंत स्वादिष्ट बनाता है।

प्राकृतिक खुशबू – पकते ही इसकी भीनी-भीनी खुशबू पूरे घर को आम्र-मय कर देती है।

इतिहास और परंपरा

सुंदरजा आम की खेती रीवा में दशकों से की जा रही है। कहते हैं कि यह आम पहले राजघराने के बागानों में उगाया जाता था, और तभी से इसे ‘राजसी आम’ भी कहा जाता है। इसके बीज और पौधे बहुत ही सीमित क्षेत्रों में मिलते हैं, जिससे इसकी दुर्लभता और बढ़ जाती है।

क्यों है ये खास

देश के अन्य आमों की तुलना में सुंदरजा का स्वाद ज्यादा गहरा, मीठा और संतुलित होता है। यही वजह है कि इसे देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है, और मांग हमेशा ज़्यादा रहती है। कुछ व्यापारी तो इसे ‘स्वर्ण आम’ भी कहते हैं, क्योंकि इसके दाम भी अक्सर बाकी आमों से अधिक होते हैं।

रीवा की पहचान

सुंदरजा आम ने रीवा को एक खास पहचान दी है। स्थानीय किसानों की आजीविका इससे जुड़ी हुई है और हर साल गर्मियों में सुंदरजा का मौसम यहां एक उत्सव जैसा होता है।

सुंदरजा आम केवल स्वाद नहीं, बल्कि रीवा की मिट्टी, मेहनत और परंपरा का प्रतीक है। यह आम न केवल पेट को, बल्कि दिल को भी तृप्त करता है। अगर आपने अब तक सुंदरजा आम का स्वाद नहीं चखा है, तो समझिए आपने भारतीय फलों की असली मिठास को नहीं जाना।

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