रीवा की ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में कार्यरत कार्यपालन यंत्री तीरथ प्रसाद गुर्दवान एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में वह खुद यह स्वीकार करते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने बैकडेट में दस्तावेजों में हेराफेरी कर उपयंत्री को निलंबन से बचाया।
वीडियो में गुर्दवान कहते हैं कि विधायक अभय मिश्रा की शिकायत को दबाते हुए उन्होंने जांच रिपोर्ट तक में बदलाव कर दिया। उनका कहना है, “मैं नहीं चाहता था कि मेरी कलम से किसी की नौकरी चली जाए।” यह बयान अब उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।
प्रशासनिक गंभीरता पर सवाल
गुर्दवान का यह कबूलनामा केवल एक उपयंत्री को बचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें यह भी उजागर हुआ कि उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को भी अनदेखा किया। यह मामला अब प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठा रहा है।
फर्जी डिग्रियों की पुष्टि पहले ही हो चुकी है
गुर्दवान पर पहले से ही फर्जी डिग्रियों—AMIE (सिविल इंजीनियरिंग) और MA (समाजशास्त्र)—के आरोप सिद्ध हो चुके हैं। रीवा संभाग के कमिश्नर बीएस जामोद द्वारा की गई जांच में यह तथ्य सामने आए थे, जिसकी रिपोर्ट प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को भेजी जा चुकी है।
तीन महीने फाइल दबाए रखी गई
अधिकारियों की लापरवाही की पोल तब खुली जब पता चला कि अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी ने इस मामले में अपनी राय तीन महीने पहले ही कमिश्नर कार्यालय को भेज दी थी, लेकिन फाइल वहीं दबा दी गई। अब यह फाइल उच्च अधिकारियों तक पहुंची है।
सेवानिवृत्ति से पहले संकट
गुर्दवान जून के अंत में रिटायर होने जा रहे हैं, लेकिन रिटायरमेंट से पहले ही उनका खुद का बयान उन्हें फंसा सकता है। जिस उपयंत्री को बचाने की कोशिश की, अब उसी मामले ने उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा दिया है।
विभाग ने बताया आरोप निराधार
हालांकि विभागीय सूत्रों ने इन आरोपों को निराधार बताया है, लेकिन वायरल वीडियो ने पूरे तंत्र की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस कबूलनामे पर क्या कार्रवाई करता है।