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अनिरुद्धाचार्य का विवादित बयान: 14 की उम्र में शादी और 25 की लड़कियों के चरित्र पर टिप्पणी से मचा बवाल

एक धार्मिक मंच से इस प्रकार का बयान न केवल भारतीय कानूनों की अनदेखी करता है, बल्कि महिलाओं की गरिमा, स्वतंत्रता और समाज में उनके योगदान को भी कम करके आंकता है

Mathura, Uttar Pradesh | मथुरा, उत्तर प्रदेश: वृंदावन के गौरी गोपाल आश्रम में आयोजित धार्मिक कथा के दौरान कथावाचक स्वामी अनिरुद्धाचार्य (Swami Aniruddhacharya) के एक विवादित बयान ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। कथित तौर पर उन्होंने कहा कि 25 वर्ष की अविवाहित लड़कियों का चरित्र ठीक नहीं होता, और उनकी शादी 14 साल की उम्र में ही कर देनी चाहिए ताकि वे परिवार में ढल सकें।

📸 वायरल वीडियो से मचा हंगामा | Social Media Uproar over Viral Video

यह विवाद तब भड़क उठा जब उनका बयान एक वीडियो क्लिप के रूप में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।

वीडियो में वे भारत के विवाह कानूनों के विपरीत बातें करते नज़र आए, जबकि भारत में कन्या की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है।

🤖 AI Generated Video या सच्चा बयान? | AI Video or Real Statement?

बढ़ते विरोध को देखते हुए, स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने माफी मांगते हुए सफाई दी कि वायरल वीडियो AI (Artificial Intelligence) द्वारा जेनरेटेड है और उनके विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

हालांकि, यह सफाई लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाई है। सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं –

👉 अगर यह वीडियो फर्जी था, तो इतनी देर तक चुप्पी क्यों?

👉 माफी इतनी देर से क्यों दी गई?

⚖️ कानूनी कार्रवाई की मांग | Legal Action Demanded

देशभर के वकील संगठनों, महिला अधिकार समूहों और सामाजिक संगठनों ने इस बयान को संविधान और महिला गरिमा के खिलाफ बताया है।

मथुरा बार एसोसिएशन की महिला वकीलों ने इसे “संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ और महिला सम्मान के विरुद्ध” करार देते हुए SSP को शिकायत सौंपकर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

🚩 जगह-जगह प्रदर्शन जारी | Protests Across India

दिल्ली, लखनऊ, जयपुर जैसे शहरों में प्रदर्शन और नारेबाजी हो रही है।

महिला संगठनों ने इसे महिलाओं की आत्मनिर्भरता और अधिकारों पर हमला बताया है।

सोशल मीडिया पर #ArrestAniruddhacharya ट्रेंड कर रहा है।

🔎 निष्कर्ष | Conclusion

एक धार्मिक मंच से इस प्रकार का बयान न केवल भारतीय कानूनों की अनदेखी करता है, बल्कि महिलाओं की गरिमा, स्वतंत्रता और समाज में उनके योगदान को भी कम करके आंकता है।

स्वामी अनिरुद्धाचार्य की माफी के बावजूद सामाजिक और कानूनी दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे ये मामला जल्द ही कानूनी कार्रवाई और न्यायिक जांच की दिशा में बढ़ सकता है।

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