MP Budget 2025 से पहले CM मोहन यादव के तेवर सख्त,इन विभागों को देना होगा संपति का हिसाब!

अगले वित्तीय वर्ष के लिए राज्य का बजट तैयार रही मोहन सरकार जुटा रही पाई-पाई की जानकारी, पिछले बजट का खंगाल रही हिसाब किताब, किस विभाग ने कितना किया खर्च, किस ने दबाया पैसा

MP Budget 2025: राज्य सरकार आगामी वित्तीय वर्ष का बजट तैयार करने में जुटी हुई है और प्रत्येक विभाग के खर्च और बची हुई राशि का आकलन कर रही है। सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि बजट की हर पाई का सही उपयोग हो। जिन विभागों ने आवंटित राशि का पूरी तरह उपयोग नहीं किया, उन्हें अगले बजट में कम राशि दी जा सकती है।

विभागों के खर्च पर सख्त निगरानी

वित्त विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि विभिन्न विभागों को कितनी धनराशि दी गई थी, उसमें से कितना उपयोग हुआ और कितना बचा रह गया। यदि किसी विभाग ने आवंटित बजट का पूर्ण उपयोग नहीं किया, तो उसके कारणों का विश्लेषण किया जा रहा है। सरकार चाहती है कि हर विभाग को उसकी वास्तविक जरूरत के अनुसार ही बजट दिया जाए, ताकि सरकारी खजाने पर अनावश्यक भार न पड़े।

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2024-25 के बजट में किन क्षेत्रों को कितना आवंटन?

आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में धनराशि आवंटित करने की योजना बनाई है:

आय के नए स्रोतों की तलाश

राज्य सरकार पर बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने के लिए आय के नए स्रोतों की तलाश की जा रही है। हालांकि, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आम जनता पर किसी भी नए कर का अतिरिक्त बोझ न पड़े।

कर संग्रह बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त हो।

कर चोरी और लीकेज रोकने के लिए सख्त उपाय अपनाए जा रहे हैं।

सरकारी विभागों के बैंक खातों की भी जांच की जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि उनके पास वास्तव में कितनी धनराशि बची हुई है और उनकी वास्तविक आवश्यकताएं क्या हैं।

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2025-26 के बजट की तैयारी

वित्त विभाग ने सभी विभागों से विस्तृत जानकारी मांग ली है और उनके पास उपलब्ध धनराशि का आकलन कर रहा है। इसी विश्लेषण के आधार पर 2025-26 के लिए बजट तैयार किया जाएगा, जिससे सरकार के खजाने का समुचित प्रबंधन हो सके और राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाया जा सके।

निष्कर्ष

राज्य सरकार बजट प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए ठोस कदम उठा रही है। अनावश्यक खर्चों में कटौती, बजट आवंटन की सख्त निगरानी और नए राजस्व स्रोतों की खोज से सरकार वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना चाहती है। आगामी बजट में इसका असर साफ दिखाई देगा।

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