21वीं सदी में जिस फल को “चमत्कारी फल” कहा गया है, वह है ड्रैगन फ्रूट, जिसे भारत में कमलम के नाम से भी जाना जाता है। यह न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि देश के किसानों के लिए भी एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। इसके सेवन से शरीर को कई तरह के पोषक तत्व मिलते हैं, वहीं इसकी खेती से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
सेहत के लिए वरदान
ड्रैगन फ्रूट स्वाद में जितना लाजवाब है, उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद है। इसके बीजों वाले हिस्से को सलाद की तरह खाया जा सकता है या इसका जूस बनाकर पिया जा सकता है। यह भूख को नियंत्रित करता है और वजन को संतुलित बनाए रखता है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत करता है, जिससे कब्ज और गैस जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इसके अलावा, इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और बीमारियों से बचाव करते हैं।
किसानों के लिए सुनहरा अवसर
ड्रैगन फ्रूट की डिमांड भारत में तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसकी घरेलू उत्पादन क्षमता अभी सीमित है। फिलहाल यह फल वियतनाम, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देशों से आयात किया जाता है। हर साल भारत करीब 5,000 करोड़ रुपये के ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो जैसे फलों का आयात करता है। यदि यह फसल भारत में ही बड़े पैमाने पर उगाई जाए तो यह राशि देश के किसानों की जेब में जा सकती है।
कृषि मंत्री की पहल
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को प्रेरित करने के लिए खुद इस दिशा में पहल की है। उन्होंने विदिशा में अपने खेतों में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है और सोशल मीडिया पर इस पहल की जानकारी दी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा –
“हमारे देश में कमलम, एवोकाडो जैसे फल लगभग 5 हज़ार करोड़ रुपये के आयात होते हैं। यदि हम इनकी खेती देश में ही करें, तो यह पैसा हमारे किसानों की जेब में जा सकता है।
वैज्ञानिक शोध और आगे की दिशा
बैंगलुरु स्थित ICAR-IIHR संस्थान ने ड्रैगन फ्रूट समेत कई विदेशी फलों पर शोध किया है और इनके सफल प्रयोग भी किए हैं। अब जरूरत है कि देश के किसान भी इसे अपनाएं और अपनी आमदनी बढ़ाएं।