ब्रिटेन सरकार ने एक अहम और सख्त कदम उठाते हुए भारत को उन देशों की सूची में शामिल कर दिया है, जिनके नागरिकों पर “पहले निर्वासन, फिर अपील” की नीति लागू होगी। नई सूची में कुल 15 नए देशों के नाम जोड़े गए हैं, जिनमें भारत का नाम भी शामिल है।
इस नीति के तहत यदि कोई भारतीय नागरिक ब्रिटेन में किसी अपराध का दोषी पाया जाता है, तो सबसे पहले उसे देश से निर्वासित किया जाएगा और इसके बाद ही उसकी अपील सुनी जाएगी। यानी अब कोई भी दोषी व्यक्ति अपील के जरिए अपने निर्वासन में देरी नहीं करा सकेगा और न ही ब्रिटेन में रह पाएगा।
ब्रिटिश सरकार के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य जेलों में भीड़ कम करना और आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताओं को घटाना है। नए नियम में यह भी स्पष्ट है कि निर्वासन के बाद अपील सुनवाई में व्यक्ति को अपने देश से ही वीडियो लिंक के माध्यम से शामिल होना होगा। हालांकि, आतंकवाद, हत्या या आजीवन कारावास के मामलों में दोषियों को पहले ब्रिटेन में अपनी सजा पूरी करनी होगी, उसके बाद ही निर्वासन पर विचार होगा।
पहले के नियमों के तहत विदेशी अपराधी मानवाधिकार कानून का हवाला देकर अपील करते हुए सालों तक ब्रिटेन में रह सकते थे। लेकिन अब निर्वासन के बाद दोबारा ब्रिटेन में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। भारत लौटने के बाद दोषी व्यक्ति के साथ क्या करना है—यह भारत सरकार तय करेगी, चाहे जेल भेजना हो या रिहा करना।
कुल 23 देशों पर लागू होंगे नए नियम
पहले यह नीति सिर्फ आठ देशों पर लागू थी—फिनलैंड, नाइजीरिया, एस्टोनिया, अल्बानिया, बेलीज, मॉरीशस, तंजानिया और कोसोवो। लेकिन अब विस्तारित सूची में भारत के साथ-साथ बुल्गारिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अंगोला, बोत्सवाना, ब्रुनेई, गुयाना, इंडोनेशिया, केन्या, लातविया, लेबनान, मलेशिया, युगांडा और जाम्बिया को भी शामिल किया गया है। इस तरह अब कुल 23 देशों के नागरिक इस नियम के दायरे में आ गए हैं।
यह नीति पहली बार 2014 में कंज़र्वेटिव पार्टी की सरकार में शुरू हुई थी और 2023 में इसे फिर से लागू किया गया है। नए फैसले के बाद ब्रिटेन में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए कानून व्यवस्था और भी सख्त हो गई है।