क्या सिर्फ ब्राह्मण ही सुना सकते हैं कथा? जानिए मशहूर कथावाचकों की जाति
देश में कथा वाचन पर जातिगत बहस तेज, मशहूर कथावाचकों की जाति जानकर चौंक जाएंगे आप, क्या सिर्फ ब्राह्मण ही कर सकते हैं कथा?

देशभर में इटावा के कथावाचकों मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव का मामला चर्चा में है। दोनों ने अपने ब्राह्मण यजमान पर जातिगत आधार पर मारपीट और अपमान का आरोप लगाया, जिससे यह बहस छिड़ गई कि क्या सिर्फ ब्राह्मणों को ही कथा वाचन का अधिकार है या हर जाति के लोग कथा सुना सकते हैं।
काशी विद्वत परिषद का मानना है कि सभी हिंदू भगवत कथा कर सकते हैं, जबकि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि सभी जातियों को कथा सुनाने का अधिकार केवल ब्राह्मणों के पास है।
इस बहस के बीच आइए जानते हैं देश के कुछ प्रमुख कथावाचकों की जाति
अनिरुद्धाचार्य: मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्मे, ब्राह्मण परिवार से हैं।
देवकीनंदन ठाकुर: मथुरा, उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण परिवार से।
बागेश्वर धाम सरकार (धीरेंद्र शास्त्री): मध्य प्रदेश के छतरपुर के ब्राह्मण परिवार से।
प्रदीप मिश्रा: मध्य प्रदेश के सीहोर के ब्राह्मण परिवार से, शिव कथा के लिए प्रसिद्ध।
संत रामपाल जी: हरियाणा के सोनीपत में जन्मे, जाट जाति से।
भोले बाबा (सूरजपाल): उत्तर प्रदेश के एटा जिले के दलित परिवार से।
बाबा रामदेव: हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के यादव परिवार से।
मोरारी बापू: गुजरात से, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आते हैं।
जया किशोरी: राजस्थान के ब्राह्मण परिवार से, युवाओं में बेहद लोकप्रिय।
देवी चित्रलेखा: हरियाणा के पलवल जिले के ब्राह्मण परिवार से।
इन उदाहरणों से साफ है कि कथा वाचन का कार्य कई जातियों के लोग कर रहे हैं। समाज में चल रही बहस के बीच ये तथ्य दिखाते हैं कि धर्म और भक्ति का दायरा जाति से कहीं बड़ा है।