बेटियों के सपनों को मिल रहा है पंख, ‘भाग्यलक्ष्मी योजना’ बन रही है गरीबी में उम्मीद की किरण

गरीब परिवारों की बेटियों को जन्म से 18 साल तक पढ़ाई और आत्मनिर्भरता के लिए आर्थिक सहायता देती है भाग्यलक्ष्मी योजना, जिससे बेटियां भी सपनों को उड़ान दे सकें।

उत्तर प्रदेश सरकार की भाग्यलक्ष्मी योजना उन परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो आर्थिक तंगी के चलते अपनी बेटियों की पढ़ाई और परवरिश को लेकर चिंतित रहते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है— गरीबी की जंजीरों को तोड़कर बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें शिक्षा व सम्मान का अधिकार दिलाना।

जन्म लेते ही ₹50,000 का तोहफा

जैसे ही किसी गरीब परिवार में बेटी जन्म लेती है, सरकार उसके नाम पर ₹50,000 की फिक्स डिपॉजिट कर देती है। यह राशि 18 साल की उम्र पूरी होने और अविवाहित रहने पर बेटी को दी जाती है। इससे वह अपनी आगे की पढ़ाई या किसी रोजगार में निवेश कर सकती है।

पढ़ाई के हर पड़ाव पर आर्थिक मदद

बेटी के जीवन की शुरुआत से ही उसका ख्याल रखा जाता है। टीकाकरण के लिए ₹1,000-₹1,000 की सहायता दी जाती है। जब बच्ची स्कूल में दाखिला लेती है, तो कक्षा 1, 3, 6, 8 और 10 में सरकार की ओर से ₹2,000 से लेकर ₹7,000 तक की सहायता मिलती है। यह रकम सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर होती है।

शर्तें जो योजना का आधार हैं

योजना का लाभ लेने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें हैं:

बेटी का जन्म पंजीकृत अस्पताल या चिकित्सा संस्थान में होना चाहिए।

18 वर्ष से पहले उसकी शादी नहीं होनी चाहिए।

स्कूल में नियमित उपस्थिति जरूरी है।

योजना का लाभ केवल बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे) आने वाले परिवारों को मिलेगा।

एक परिवार की केवल दो बेटियों को ही इसका लाभ दिया जाएगा।

आवेदन प्रक्रिया बिल्कुल सरल

कोई भी पात्र परिवार अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र या महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त कर सकता है।

फॉर्म भरते समय निम्न दस्तावेज साथ लगाना आवश्यक है:

माता-पिता व बच्ची का आधार कार्ड

टीकाकरण कार्ड

बैंक खाते की जानकारी

स्कूल प्रमाण पत्र

गरीबी रेखा का प्रमाणपत्र (BPL कार्ड)

फॉर्म और दस्तावेज सही तरीके से जमा करने पर सरकार की ओर से फिक्स डिपॉजिट और अन्य आर्थिक सहायता समय-समय पर मिलती रहती है।

बेटियों में जाग रही है आत्मनिर्भरता

इस योजना से न सिर्फ बेटियों को शिक्षा मिल रही है, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। उन्हें यह एहसास हो रहा है कि सरकार उनके सपनों के साथ खड़ी है। अब बेटियां भी खुलकर अपने भविष्य की योजना बना रही हैं।

अगर आप भी आर्थिक रूप से कमजोर हैं और चाहते हैं कि आपकी बेटी पढ़-लिखकर आगे बढ़े, तो ‘भाग्यलक्ष्मी योजना’ में आवेदन जरूर करें। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि बेटियों के बेहतर भविष्य की मजबूत नींव है।

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