रूस और म्यांमार में भूकंप का कहर: धरती की हलचल से दहले हजारों दिल

रूस और म्यांमार में भूकंप की दोहरी मार, तबाही का मंजर देख कांप उठे लोग

धरती फिर एक बार हिली और इस बार असर दो देशों पर एक साथ देखने को मिला। रूस और म्यांमार में आए शक्तिशाली भूकंप ने लोगों की ज़िंदगी को झकझोर कर रख दिया। दोनों देशों में अचानक आई इस प्राकृतिक आपदा से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया और जान-माल का भारी नुकसान हुआ।

रूस: साइबेरिया में कांपी धरती

रूस के सुदूरवर्ती साइबेरियाई क्षेत्र में 6.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। इस जोरदार झटके से इमारतें हिल गईं और लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए। प्रशासन ने तुरंत अलर्ट जारी किया और प्रभावित इलाकों में राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं। हालांकि किसी बड़े जानमाल के नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कई इमारतों में दरारें आ गई हैं और कुछ पुलों को क्षतिग्रस्त बताया जा रहा है।

म्यांमार: गांवों में भारी तबाही

वहीं म्यांमार के पूर्वी हिस्से में 7.1 तीव्रता वाला भूकंप आया, जो कहीं अधिक विनाशकारी साबित हुआ। झटके इतने तेज थे कि गांवों में मकान जमींदोज हो गए। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं। अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित की गई है और सेना को राहत व बचाव कार्य में लगाया गया है।

क्षेत्रीय देशों में भी महसूस हुए झटके

इन दोनों भूकंपों का असर सिर्फ रूस और म्यांमार तक सीमित नहीं रहा। आसपास के कई देशों—चीन, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र, थाईलैंड और बांग्लादेश तक—भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग सहम गए।

वैज्ञानिकों ने क्या कहा

भूवैज्ञानिकों का कहना है कि यह घटना पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेटों की तेज हलचल का परिणाम है। वे आने वाले कुछ दिनों तक आफ्टरशॉक्स की संभावना जता रहे हैं। लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

सरकार और अंतरराष्ट्रीय मदद

दोनों देशों की सरकारों ने राहत कार्यों में तेजी लाई है। म्यांमार ने अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है और भारत समेत कई देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है।

रूस और म्यांमार में आए इस भयावह भूकंप ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि प्रकृति के आगे इंसान कितना भी विकसित क्यों न हो, बेबस हो जाता है। अब ज़रूरत है जागरूकता, आपदा प्रबंधन और मजबूत बुनियादी ढांचे की, ताकि ऐसी आपदाओं में कम से कम नुकसान हो।

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