वन विभाग की गलतियों का खामियाजा भुगतेंगे वन रक्षक, वनकर्मियों से 165 करोड़ रुपए वसूलेगी सरकार
MP News : मध्य प्रदेश में वन विभाग की गलतियों का खामियाजा अब 6592 वन रक्षकों को भुगतना पड़ेगा। सरकार ने वनकर्मियों को करीब 165 करोड़ रुपये की वसूली करायी है। इसके लिए विभाग की ओर से नोटिस भी जारी कर दिया गया है। प्रत्येक वन आरक्षी से 1 लाख 29 हजार रुपये की वसूली की जायेगी। सरकार 6592 वन रक्षकों से ब्याज सहित यह रकम वसूलेगी।
वन विभाग के ऑडिट पर कमलनाथ ने उठाए सवाल: एक्स में लिखा- सरकार की गलतियों की सजा वन रक्षकों को क्यों? आदेश वापस लेकर वसूली बंद की जाए। दरअसल, वन विभाग ने वन रक्षकों को 5680 रुपये मूल वेतन देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। वित्त विभाग ने प्रस्ताव की जांच की तो जांच में वन रक्षक भर्ती नियमों के उल्लंघन का खुलासा हुआ।
मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रदेश में वर्तमान में सेवारत वनरक्षक (फॉरेस्ट गार्ड) से लगभग 145 करोड रुपए की वसूली निकाली है।
यह राशि उनके वेतन से वसूल किए जाने के आदेश जारी हुए हैं। यह राशि उनके वेतन में पिछले 18 वर्षों से लगातार हो रहे भुगतान से वसूल करने के…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 29, 2024
6592 वन रक्षकों को 5680 मूल वेतन दिया गया है जबकि भर्ती नियमों में 5200 मूल वेतन दिया जाना था। वन विभाग ने गलत वेतन गणना की और उन्हें सरकारी खजाने से बढ़ा हुआ वेतन भी दिया गया। इसके अलावा 2006 से कार्यरत वन रक्षकों से 5 लाख रुपये और 2013 से कार्यरत वन रक्षकों से 1.5 लाख रुपये पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज लिया जाएगा।
यह पूरा मामला है
मध्य प्रदेश वन विभाग ने शुरुआत में 165 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान किया। अब 6 हजार 592 वन रक्षकों से इसकी वसूली की जाएगी। यानी हर वन रक्षक को औसतन ढाई लाख रुपये सरकारी खजाने में जमा कराने होंगे। दरअसल वन रक्षकों के मूल वेतन (वेतन बैंड) की गलत गणना के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। भर्ती नियमों के अनुसार, वेतन बैंड 5200 रुपये है, लेकिन 5680 रुपये दिया गया है। यह विसंगति 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती किए गए वन रक्षकों के वेतन में हुई। जिसे अब वसूला जाएगा।