राजनीति

वोट चोरी का काला खेल: कैसे बदल दिए जाते हैं चुनावी नतीजे

वोट चोरी सिर्फ एक गैरकानूनी काम नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी हो, वोटिंग मशीनों की कड़ी निगरानी हो और जनता खुद सतर्क रहे

लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है जनता का वोट, लेकिन जब यही वोट चोरी हो जाएं, तो लोकतंत्र की जड़ें हिल जाती हैं। वोट चोरी कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है, जो कई बार देश-दुनिया के चुनावी इतिहास में सामने आ चुकी है। आइए जानते हैं, आखिर कैसे होती है वोटों की चोरी और किन तरीकों से चुनावी नतीजों को प्रभावित किया जाता है।

1. फर्जी वोटर लिस्ट

वोट चोरी का पहला कदम होता है फर्जी या डुप्लीकेट वोटर बनाना। चुनाव से पहले कुछ नाम लिस्ट में जोड़ दिए जाते हैं, जिनके नाम असल में मौजूद ही नहीं होते। ऐसे “भूतिया वोटर” सिर्फ नतीजे पलटने के लिए बनाए जाते हैं।

2. एक व्यक्ति, कई वोट

कुछ जगहों पर एक ही व्यक्ति अलग-अलग बूथों पर वोट डाल देता है। नकली पहचान पत्र और प्रशासनिक लापरवाही इस खेल को आसान बना देते हैं।

3. EVM में हेरफेर

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को पूरी तरह सुरक्षित बताया जाता है, लेकिन कई आरोप लग चुके हैं कि तकनीकी छेड़छाड़ या हैकिंग से वोट एक पार्टी से दूसरी पार्टी के खाते में ट्रांसफर किए जा सकते हैं।

4. बूथ कैप्चरिंग

यह तरीका पुराना है लेकिन अब भी कई जगह देखने को मिलता है। हथियारबंद गुंडे बूथ पर कब्जा कर लेते हैं, विरोधी दल के एजेंट को बाहर निकाल देते हैं और खुद अपनी पसंद के वोट डालते हैं।

5. पोस्टल बैलेट में गड़बड़ी

डाक से आने वाले बैलेट्स का गलत इस्तेमाल भी वोट चोरी का एक जरिया है। इनमें फर्जी हस्ताक्षर, पहले से भरे बैलेट, या बैलेट की गुमशुदगी आम बातें हैं।

6. वोटर को डराना या खरीदना

कभी धमकी देकर, तो कभी पैसे या शराब बांटकर वोटरों की पसंद बदल दी जाती है। इसे “वोट बैंक मैनेजमेंट” के नाम पर जायज ठहराने की कोशिश की जाती है।

समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button