जम्मू-कश्मीर में प्रकृति लगातार कहर बरपा रही है। महज तीन दिन के भीतर दूसरी बार बादल फटने की घटना सामने आई है। रविवार सुबह कठुआ जिले के बॉर्डर से लगे जोद घाटी क्षेत्र में बादल फटने से 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 6 लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
सिर्फ जोद ही नहीं, बल्कि मथरे चक, बगार्ड, चंगड़ा और दिलवान-हुटली में भी भूस्खलन हुआ है। घटना के बाद जोद गांव का संपर्क शहर से कट गया। रेस्क्यू टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद गांव में पहुंचकर लोगों को कीचड़ और मलबे के बीच से सुरक्षित निकाला। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
किश्तवाड़ में अब तक 65 मौतें, 200 लापता
14 अगस्त को किश्तवाड़ जिले के चसोटी गांव में भी बादल फटने से भारी तबाही मची थी। इस हादसे में अब तक 65 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और करीब 200 लोग अब भी लापता हैं। घायलों की संख्या 180 है, जिनमें से 40 की हालत गंभीर बताई जा रही है।
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और पुलिस मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। अब तक 500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। वहीं, कई परिजनों का आरोप है कि राहत कार्य में देरी हो रही है और मशीनों का सही इस्तेमाल नहीं किया जा रहा।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने 17 से 19 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर के कई जिलों—जम्मू, रियासी, उधमपुर, राजौरी, पुंछ, सांबा, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, रामबन और कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों में भारी बारिश और बादल फटने व लैंडस्लाइड की चेतावनी जारी की है।
श्रद्धालु भी बने आपदा का शिकार
किश्तवाड़ हादसा उस वक्त हुआ जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए इलाके में पहुंचे थे। यात्रा का पहला पड़ाव होने के कारण यहां बसें, टेंट, लंगर और दुकानें लगी थीं। बादल फटने से सबकुछ बाढ़ में बह गया।