रीवा के बेलगाम यूट्यूबर्स: अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर सामाजिक मर्यादाओं की उड़ रही धज्जियाँ!

रीवा में बघेली यूट्यूबर्स ने सोशल मीडिया पर रिश्तों की मर्यादा तोड़ी, प्रशासन की चुप्पी पर जनता ने उठाए सवाल

रीवा, मध्यप्रदेश — आज जहां सोशल मीडिया आम जन की आवाज़ उठाने का सशक्त प्लेटफॉर्म बन चुका है, वहीं कुछ कथित ‘बघेली यूट्यूबर्स’ इसे सस्ती लोकप्रियता पाने का जरिया बना चुके हैं। इन लोगों की ओछी हरकतें न केवल सामाजिक मर्यादाओं का मज़ाक बना रही हैं, बल्कि पति-पत्नी जैसे पवित्र रिश्तों को भी अपमानित करने से नहीं चूक रही हैं।

ताजा मामला बघेली कंटेंट क्रिएटर दीपक सिंह और अमृता सिंह का है। इस जोड़ी द्वारा बनाया गया एक वीडियो दीपक सिंह की फेसबुक प्रोफाइल से शेयर किया गया है (URL: https://www.facebook.com/share/1C33tYuoH9/)। इस वीडियो में पति को कुत्ते के रूप में दिखाया गया है — एक प्रतीकात्मक दृश्य जो साफ़ तौर पर रिश्तों का मखौल उड़ाता है।

यह न केवल पुरुषों का अपमान है, बल्कि उन तमाम महिलाओं का भी, जो विवाह को गरिमा और संस्कारों के साथ निभाती हैं।

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इससे पहले भी मनीष पटेल नामक कलाकार द्वारा एक वीडियो में देश के सैनिकों का अपमान किया गया था, जो वायरल होने के बाद भी प्रशासन ने नजर अंदाज़ कर दिया। अब उसी टीम के कलाकारों द्वारा समाज में ज़हर घोलने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

रीवा के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों का सवाल बिल्कुल वाजिब है – ऐसे अशोभनीय और सामाजिक मूल्यों को तोड़ने वाले कंटेंट पर अब तक प्रशासन चुप क्यों है? क्या पुलिस को ऐसे मामलों में स्वतः संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है?

जब वीडियो सार्वजनिक है, जब कमेंट सेक्शन में लोग खुलकर आपत्ति जता रहे हैं, तब कार्रवाई में देरी क्यों?

अभिव्यक्ति की आज़ादी या अश्लीलता की छूट?

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह कतई नहीं कि कोई भी किसी भी हद तक गिर जाए। समाज को हास्यास्पद कंटेंट पर हँसाने की होड़ में ये यूट्यूबर्स यह भूल जाते हैं कि वे नई पीढ़ी पर क्या प्रभाव छोड़ रहे हैं।

रीवा पुलिस अधिकारियों द्वारा खुद वीडियो बनाने पर पाबंदी लगाई जा चुकी है, तो फिर उन यूट्यूबर्स पर क्यों नहीं, जो जानबूझकर समाज को गंदा करने पर तुले हैं?

अब वक्त है कार्रवाई का

रीवा की जनता का सवाल है — क्या अब भी जिला प्रशासन और पुलिस केवल मूकदर्शक बने रहेंगे? या फिर इन सोशल मीडिया उन्मादियों पर लगाम लगाई जाएगी?

समाज को बचाना है, तो अब सख्त कदम उठाना ही होंगे। ऐसे लोगों को यह साफ संदेश मिलना चाहिए कि कानून से ऊपर कोई नहीं और सामाजिक मर्यादा की रक्षा सबसे पहली ज़िम्मेदारी है।

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