मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एक बड़ी अनियमितता सामने आई है। हजारों महिलाओं ने अपने गैस कनेक्शन से पति या किसी पुरुष सदस्य का नाम हटाकर खुद के नाम पर ट्रांसफर करवा लिया, जिससे उन्हें 450 रुपए में सब्सिडी वाला सिलेंडर मिलने लगा। लेकिन अब यह मामला सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है।
क्यों मचा बवाल
राज्य सरकार की लाड़ली बहना योजना के तहत लाभ लेने के लिए कुछ महिलाओं ने चालाकी दिखाते हुए उज्ज्वला योजना का लाभ भी अपने नाम करवा लिया। इससे सरकार को सब्सिडी के रूप में करोड़ों का नुकसान हुआ है। अंदाजा है कि पिछले एक साल में लगभग 2 लाख महिलाओं ने ऐसा किया है।
जांच और सख्त निर्देश जारी
प्रदेश के खाद्य विभाग ने इस गड़बड़ी की जानकारी मिलते ही तेल कंपनियों – इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि ऐसे ट्रांसफर आवेदनों पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही उज्ज्वला योजना में स्वतंत्र एजेंसी से ऑडिट कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
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ऑडिट में जांचे जाएंगे ये बिंदु
1. गैस कनेक्शन किसके नाम पर है और कब से है?
2. क्या महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार हुआ है?
3. गैस का सही तरीके से उपयोग हो रहा है या नहीं?
4. रिफिलिंग में कोई परेशानी तो नहीं आई?
5. धुएं से राहत मिली या नहीं?
6. क्या घर की महिलाएं अब बच्चों को पढ़ाने के लिए समय निकाल पा रही हैं?
सब्सिडी पर भी सवाल
राज्य में 24 से 25 लाख महिलाएं उज्ज्वला योजना का लाभ ले रही हैं। इन महिलाओं को 450 रुपए में गैस सिलेंडर मिलता है, जबकि बाजार में इसकी कीमत कहीं अधिक है। सरकार हर महीने इस योजना पर 46 से 50 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रही है। अब यह जांच की जा रही है कि यह सब्सिडी सही लोगों तक पहुंच रही है या नहीं।
क्या है उज्ज्वला योजना?
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) को केंद्र सरकार ने 2016 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य था कि गरीब और ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को लकड़ी और कोयले के धुएं से मुक्ति मिले और वे रसोई गैस का उपयोग कर सकें। इस योजना के तहत 450 रुपए में सिलेंडर उपलब्ध कराया जाता है।
सरकार सख्त मूड में
खाद्य विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इस प्रकार की धोखाधड़ी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर महिलाओं के बैंक और IFSC कोड की भी जांच की जाएगी, ताकि गड़बड़ी की पूरी जड़ तक पहुंचा जा सके।