मध्यप्रदेश

इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन: बेंगलुरु जैसी तरक्की की राह पर, जानिए किन बिंदुओं पर चाहिए फोकस

सरकार इंदौर, उज्जैन, देवास, धार और शाजापुर को मिलाकर मेट्रोपॉलिटन रीजन बना रही है; बेहतर शिक्षा, कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर से इंदौर बन सकता है दूसरा बेंगलुरु।

राज्य सरकार इंदौर, उज्जैन, देवास, धार और शाजापुर के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर एक नई पहचान गढ़ने जा रही है—इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन। इस दिशा में 20 मई को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट ने महत्वपूर्ण मंजूरी दी है। इस फैसले से ना सिर्फ इंदौर, बल्कि पूरे अंचल के आर्थिक और शहरी विकास को नई उड़ान मिलेगी।

शोध में हुआ खुलासा: इंदौर बन सकता है दूसरा बेंगलुरु

‘इंटरनेशनल अर्बन फोरम’ नामक संस्था ने इंदौर के भविष्य को लेकर एक गहन रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 2030, 2047 और 2070 तक के विकास मॉडल पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर सरकार कुछ अहम क्षेत्रों—जैसे अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी, ट्रैफिक व्यवस्था और शिक्षा पर विशेष ध्यान दे, तो इंदौर भी बेंगलुरु जैसी तरक्की कर सकता है।

शिक्षा है, लेकिन स्थानीय लाभ नहीं

इंदौर में प्रतिष्ठित संस्थान जैसे IIT और IIM हैं, फिर भी यहां पढ़ाई करने वाले छात्र शहर से बाहर नौकरी करने चले जाते हैं। शोध में सुझाव दिया गया है कि सरकार को ऐसे संस्थानों की स्थापना करनी चाहिए, जो विशेष रूप से मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए हों। आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग की बड़ी आबादी के बावजूद ग्रेजुएट की संख्या कम है, जिसे तकनीकी शिक्षण संस्थानों के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी: विकास की कुंजी

बेंगलुरु की तरह इंदौर को भी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का हब बनाना जरूरी है। आज बेंगलुरु से 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स उड़ान भरती हैं, जबकि इंदौर से मात्र कुछ ही। बेहतर एयर कनेक्टिविटी से विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सकता है, जिससे राज्य की आय में जबरदस्त वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इंदौर में दो और एयरपोर्ट बनाए जाएं ताकि विस्तार संभव हो।

सड़कों का जाल और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम अनिवार्य

इंदौर में तेजी से वाहन बढ़ रहे हैं, लेकिन सड़कों की चौड़ाई और संख्या अपर्याप्त है। नई सड़कों की चौड़ाई 50 मीटर तक ही सीमित है, जबकि हैदराबाद में 150 मीटर चौड़ी सड़कें वर्षों पहले बन चुकी हैं। फ्लायओवर जरूर बने हैं, लेकिन नीचे अब भी जाम की स्थिति रहती है। आने वाले वर्षों के ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए एक सुदृढ़ और विस्तृत रोड नेटवर्क तैयार करना जरूरी है।

सरकार का यह कदम इंदौर को एक वैश्विक शहर की दिशा में ले जा सकता है, बशर्ते योजनाओं को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए। शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी पर अगर ठोस काम हो, तो इंदौर सिर्फ मध्यप्रदेश का नहीं, पूरे भारत का चमकता हुआ सितारा बन सकता है।

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