धर्म

कृष्ण जन्माष्टमी 2025: जन्म की दिव्य कथा, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की कथा, मान्यताएं, पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के उपाय जानें

कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली सबसे पावन और उल्लासपूर्ण हिंदू पर्वों में से एक है। यह दिन भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता है, जब भक्तजन भगवान के जन्म की कथा, उपवास, भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना के साथ मनाते हैं।

क्यों मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी

मान्यता है कि द्वापर युग में अत्याचार और अधर्म का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का मथुरा की कारागार में देवकी और वसुदेव के घर जन्म लिया। श्रीकृष्ण ने कंस का अंत करके धर्म की स्थापना की और मानव जाति को प्रेम, भक्ति और करुणा का संदेश दिया।

क्या हैं प्रमुख मान्यताएं

श्रीकृष्ण के जन्म की रात को निशीथ काल में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस दिन उपवास रखने से मन की पवित्रता और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन मक्खन-मिश्री का भोग लगाना भगवान को अति प्रिय है।

रासलीला, मटकी फोड़ और झांकियों का आयोजन भक्तिभाव को बढ़ाता है।

कैसे करें भगवान को प्रसन्न

1. उपवास और संकीर्तन: दिनभर उपवास रखकर श्रीकृष्ण के नाम का जप करें।

2. मंत्र जाप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

3. भोग अर्पण: मक्खन, मिश्री, पंजीरी, दूध और तुलसीदल से भगवान को भोग लगाएं।

4. मध्यरात्रि पूजा: भगवान के जन्म समय शंख, घंटी और मृदंग बजाकर आरती करें।

5. दान-पुण्य: जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।

शुभ मुहूर्त 2025 

तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त 2025, रात 10:05 बजे

तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025, रात 12:40 बजे

निशीथ पूजा मुहूर्त: 16 अगस्त, रात 12:05 से 12:45 तक

(मुहूर्त स्थान अनुसार बदल सकता है, स्थानीय पंचांग देखें)

संदेश क्या है

कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का उत्सव है। श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं, उनके उपदेशों और उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन में धर्म, सच्चाई और करुणा का पालन कर सकते हैं।

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