मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार एक बार फिर कर्ज़ लेने की तैयारी में है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यह दूसरी बार है जब सरकार 4500 करोड़ रुपए का भारी-भरकम ऋण लेने जा रही है। इस राशि को दो किश्तों में लिया जाएगा—पहली किश्त 2000 करोड़ रुपए की और दूसरी 2500 करोड़ की होगी। इससे पहले मई 2025 में भी सरकार ने दो बार 2500-2500 करोड़ रुपए का कर्ज़ लिया था।
कर्ज़ का आंकड़ा छू रहा नई ऊंचाई
अब तक राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष में 9500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। अप्रैल को छोड़कर हर महीने सरकार ने कर्ज़ का सहारा लिया है। इस नए ऋण के बाद प्रदेश पर कुल बकाया कर्ज़ बढ़कर लगभग 4.31 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा।
क्यों जरूरी है ये कर्ज़
सरकार का दावा है कि यह कर्ज राज्य की आर्थिक मजबूती और विकास योजनाओं की निरंतरता के लिए जरूरी है। प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
विकास परियोजनाओं के लिए फंडिंग
कर्मचारियों को महंगाई भत्ता
‘लाड़ली बहना योजना’ की किस्तों का भुगतान
मानसून से पहले निर्माण कार्यों के खर्च
3 जून को दो नई किश्तों में लोन
वित्त विभाग के अनुसार 3 जून 2025 को रिज़र्व बैंक के माध्यम से दो नए कर्ज लिए जाएंगे:
कर्ज राशि अवधि अंतिम भुगतान तिथि
2000 करोड़ 16 वर्ष 4 जून 2041
2500 करोड़ 18 वर्ष 4 जून 2043
सरकार तय समय सीमा में ब्याज सहित इन कर्जों की अदायगी करेगी।
पिछले महीने लिए गए ऋण का विवरण
7 मई 2025 को भी सरकार ने दो किश्तों में 5000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था:
पहला कर्ज: 12 वर्ष की अवधि, अंतिम भुगतान 7 मई 2037
दूसरा कर्ज: 14 वर्ष की अवधि, अंतिम भुगतान 7 मई 2039
राजस्व में सरप्लस, फिर भी कर्ज़ क्यों
वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने 12,487.78 करोड़ रुपए का राजस्व सरप्लस दर्ज किया। आमदनी 2.34 लाख करोड़ थी, जबकि खर्च 2.21 लाख करोड़ रहा।
वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित आंकड़ों के अनुसार
आमदनी: 2.62 लाख करोड़
खर्च: 2.60 लाख करोड़
सरप्लस: 1,025.91 करोड़ रुपए
इसके बावजूद, सरकार को अपने कार्यक्रमों को सुचारु रूप से चलाने के लिए कर्ज़ की आवश्यकता महसूस हो रही है।