बाघों के लिए बदलेगा मध्यप्रदेश का नक्शा: 49 गांव होंगे विस्थापित, 600 करोड़ खर्च
वन्यजीव संरक्षण के लिए बड़ा कदम, नौरादेही टाइगर रिजर्व को बाघों के अनुकूल बनाने की कवायद जोरों पर

मध्यप्रदेश में वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक बड़ी पहल शुरू की गई है। प्रदेश के 49 गांवों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बसाने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है। यह कदम विशेष रूप से बाघों के सुरक्षित आवास को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। यह अभियान वीरांगना रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व के अंतर्गत चलाया जा रहा है, जो प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व
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इसमें सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों के गांवों को घने जंगलों से बाहर बसाया जा रहा है। वन विभाग और राजस्व विभाग मिलकर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। अब तक इस परियोजना पर करीब 600 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
करीब एक साल पहले नौरादेही को आधिकारिक तौर पर टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, लेकिन यहां गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया पिछले 10 वर्षों से चल रही है। कुल 93 गांवों में से अब तक 44 गांवों को स्थानांतरित किया जा चुका है।
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दमोह जिले में सबसे अधिक 31 गांव विस्थापित किए जाने हैं, जबकि सागर और नरसिंहपुर जिलों से क्रमश: 18-18 गांवों को हटाया जाना है। इस वर्ष 10 गांवों को हटाने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है, जिसमें सागर के 8 और नरसिंहपुर के 1 गांव को शामिल किया गया है।
2,339 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस टाइगर रिजर्व का 1,414 वर्ग किमी हिस्सा कोर एरिया और 925 वर्ग किमी बफर जोन में आता है। गांवों के हटने के बाद यह क्षेत्र पूरी तरह बाघों के लिए सुरक्षित हो जाएगा, जिससे न सिर्फ वन्यजीवों को लाभ होगा बल्कि पर्यावरण संतुलन भी बेहतर होगा।