मध्यप्रदेश

MP पुलिस का ऑपरेशन KGF की सफलता की कहानी 17 दिन चला अभियान 63 आरोपी गिरफ्तार, सीएम शिवराज ने की ऑपरेशन की तारीफ 

MP पुलिस का ऑपरेशन KGF की सफलता की कहानी 17 दिन चला अभियान 63 आरोपी गिरफ्तार, सीएम शिवराज ने की ऑपरेशन की तारीफ।

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के जंगलों में अतिक्रमणकारियों के द्वारा तांडव मचाया गया सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब 5 से 6 हजार हेक्टेयर से अधिक की भूमि का पेड़ इन अतिक्रमणकारियों ने काट डाले। यह पूरा मामला बुरहानपुर जिले के नेपानगर तहसील अंतर्गत नावरा वन रेंज में चल रहा था । परंतु इसी दरमियान अतिक्रमणकारियों ने दो बड़ी गलतियां कर दी। सबसे पहली गलती अक्टूबर 2022 में वाकडी वन चौकी में लूट की तथा दूसरी गलती 7 अप्रैल 2023 को नेपा थाना में बंद अतिक्रमणकारियों को छुड़ाने और हथियार लूटने की और यहीं से उनके विनाश की उल्टी गिनती शुरू हो गई।

एमपी पुलिस ने 17 दिन अभियान चलाकर वाकडी सिबल पवनखेड़ा और साईं खेड़ा में 1000 से अधिक अवैध टपरिया तोड़ दी 120 से अधिक अतिक्रमणकारियों को थाने पर हमला करने वाले आरोपियों को भी गिरफ्त में लिया गया तथा एक साथ 63 आरोपियों को गिरफ्तार कर 23 अप्रैल को ऑपरेशन k.g.f. को बंद किया गया।

आइए जानते हैं क्यों इस ऑपरेशन का नाम रखा गया केजीएफ 

अतिक्रमणकारियों का सरगना हेमा कहता था यह KGF है इसे कोई नहीं ढहा सकता 

बुरहानपुर जिले के पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा बताते हैं कि यह पूरा ऑपरेशन 17 दिन तक चला इसकी विशेषता यह रही कि जिस दायरे में अतिक्रमण कारी बसे हुए थे उन्होंने उसका नाम केजीएफ दे रखा था और यह नाम साउथ की फिल्म केजीएफ के नाम पर रखा था। आरोपी हेमा मेघवाल जिसे अतिक्रमण कारी 7 अप्रैल 2023 को नेपा थाने से छुड़ाकर ले गए थे वह इतना घमंड में चूर था कि वह इस क्षेत्र को  केजीएफ कहता था आक्रमणकारियों के बीच यह नाम पहुंचता तो उन्हें भी यह समझ में नहीं आता कि पुलिस केजीएफ क्यों कह रही है केजीएफ फिल्म में हवाई जहाज उड़े थे हमने भी यहां पर ड्रोन उड़ाए पुलिस अधीक्षक के अनुसार अतिक्रमणकारियों के इस केजीएफ में करीब एक हजार से ज्यादा टपरिया थी और सभी टपरी में तीर कमान, गोफन और पत्थर रखे गए थे वही इन हथियारों से आक्रमणकारी हर वक्त हमला के लिए तैयार रहते थे।

MP पुलिस का ऑपरेशन KGF की सफलता की कहानी 17 दिन चला अभियान 63 आरोपी गिरफ्तार, सीएम शिवराज ने की ऑपरेशन की तारीफ 
ड्रोन कैमरे से ली गई टपरियों की फोटो

ऊंची पहाड़ी पर रहते थे इसलिए उठाते थे ज्यादा फायदा

बुरहानपुर पुलिस अधीक्षक बताते हैं कि अतिक्रमणकारियों का सरगना फूल सिंह यहां की सबसे ऊंची पहाड़ी पर रहता था इस पहाड़ी से 4 किलोमीटर दूर तक नजर रखी जाती थी जिसका वह काफी मात्रा में फायदा उठाया करता था अगर वन विभाग या पुलिस का अमला जाता तो उसके पहुंचने से पहले ही इसकी जानकारी लग जाती थी वहां उन्हें मोबाइल नेटवर्क अभी ऊंचाई होने के कारण पर्याप्त मात्रा में मिलता था जबकि पुलिस के पास वायरलेस सेट ही एक सहारा था जिसे मॉडिफाई कर हमने भी एक दूसरे से कम्युनिकेशन की तकनीक अपनाई उनकी तैयारियां रहती थी कि टीम यहां आए तो ऊपर से हमला कर दें। 50 से अधिक अतिक्रमणकारी अपने आसपास तीर कमान के साथ पहरा देते थे।  वहीं कई बार जब पुलिस की टीम कार्यवाही के लिए जाती तो अतिक्रमणकारियों ने रास्ता रोककर खलल डालने का प्रयास किया कई बार पेड़ काटकर रास्ते में डाल दिए जाते थे लेकिन हमारी टीम ने भी हिम्मत नहीं हारी और टीम ने लगातार मुकाबला किया और रास्ते से पत्थर, पेड़ आदि को हटाते हुए आगे बढ़ते गए।

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अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त कराई गई लकड़ियां

अति आत्मविश्वास के कारण खत्म हुआ kgf

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अतिक्रमणकारियों के खात्मे का एक बहुत बड़ा कारण रहा उनका आत्मविश्वास क्योंकि वह सोचते थे कि दो-तीन बार कार्यवाही होती है और फिर कोई नहीं आता इसलिए वह पूर्णरूपेण आश्वस्त थे कि गिरफ्तारी और  टपरिया तोड़ने के बाद प्रशासन चुप बैठ जाएगा। परंतु इस बार कुछ विपरीत हुआ पुलिस भी उन्हें अति आत्मविश्वास में रहने दिया।

ड्रोन से दी चेतावनी आत्मसमर्पण करो वरना परिणाम होगा बुरा

पुलिस अधीक्षक कहते हैं कि जब हमने अभियान की शुरुआत की तो पुलिस ने भी इस अभियान का नाम उन्हीं की तर्ज पर केजीएफ रख दिया इस अभियान में पुलिस ने ड्रोन कैमरे की मदद ली और आक्रमणकारियों को पकड़ा इसमें भी इनोवेशन किया गया। ड्रोन में पायलट तकनीक इस्तेमाल की गई माइक लगा दिया गया 2 किलोमीटर दूर से पुलिस जमीन से 500 मीटर ऊपर उड़ रहे ड्रोन से चेतावनी दे रही थी कि आत्मसमर्पण कर दो वरना परिणाम बुरा होगा यह सुनकर अतिक्रमण कारी दोनों हाथ ऊपर खड़ा कर देते तो कुछ भाग जाते पुलिस वहां होती ही नहीं थी उन्हें यह मालूम था कि पुलिस आसपास ही है। और हमारे लिए यह तकनीक काफी कारगर साबित हुई इस तकनीक के लिए हमने मुंबई के कुछ जानकारों से भी सलाह ली थी।

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टपरियों को तोड़ती हुई जेसीबी मशीन

कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए वायरलेस सेट को जंगल में किया अपडेट

इस पूरे अभियान के दौरान सबसे बड़ी चुनौती जंगल में कम्युनिकेशन की थी और इसका भी समाधान पुलिस ने निकाल लिया पुलिस वाहन को रातों-रात वज्र में तब्दील कर दिया गया यानी जो सुविधाएं वज्र में होती हैं वही हर वाहन में इस्तेमाल करने के लिए एंटीना से लेकर दूसरी चीजें लगा दी गई जेसीबी को अतिक्रमण कारी पत्थर मार कर छोड़ देते थे इसलिए रातों-रात बिल्डिंग दुकान संचालक से जेसीबी में जालियां लगाई गई सभी चालकों को भी वायरलेस सेट दे दिया गया ताकि किसी परिस्थिति में फसने पर भी तत्काल सूचित कर सकें।

हमले से पहले तक स्थापित था कम्युनिकेशन

तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे कि वाकडी चौकी के बाद पुलिस ने कार्यवाही क्यों नहीं की इसको लेकर पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि वाकडी चौकी हमले के बाद और इससे पहले तक पुलिस का कम्युनिकेशन लगातार रहा उन्हें मोटिवेट किया जा रहा था और कुछ लोगों ने तब भी सरेंडर किया था लेकिन नेपा थाने पर 7 अप्रैल को हुए हमले के बाद कम्युनिकेशन टूट गया क्योंकि अब तो आक्रमणकारी थाने पर ही हमला कर चुके थे यहां से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही की प्लानिंग शुरू हुई। पहले उनके अतिक्रमण पर धावा बोला गया जिन्होंने पहले घटनाक्रम में अंजाम दिया उन पर कार्यवाही शुरू की यह कार्यवाही 17 दिन तक चली इस कार्यवाही से पहले तक पुलिस पार्टी लगातार अतिक्रमणकारियों से बात कर रही थी।

नेपानगर के लोगों ने दिया साथ

पुलिस अधीक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि नेपानगर के लोगों का खास योगदान रहा जब नेपा थाने पर हमला हुआ तो नगर के लोग दूसरे दिन सुबह थाने पर जमा हो गए आंदोलन की चेतावनी दी और दूसरे दिन थाने के सामने धरने पर भी बैठ गए लेकिन पुलिस ने 1 क्षेत्रों में कार्यवाही की तो नगर के लोगों ने धरना समाप्त कर दिया एसपी राहुल कुमार लोढ ने बताया कि नेता के लोगों ने काफी सहयोग किया जो शिकायत कर रहे थे वह दीवार की तरह खड़े थे।

गांव के लोगों की भूमिका रही सराहनीय 

इस इनोवेशन में कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल से लेकर थाना प्रभारी तक ने अपने अपने सुझाव दिए अनुभव साझा किए तब जाकर ड्रोन, बज्र का इस्तेमाल किया गया, रात में 8:00 बजे बात हुई और सुबह पुलिस वाहन वज्र बन गया रेडियो कम्युनिकेशन रातों-रात तैयार किया गया 2 किलोमीटर दूर से कहा गया कि हमें मालूम है तुम पेड़ के पास हो खड़े हो सरेंडर कर दो वह आदमी वही हाथ खड़े कर नीचे लेट गया हम लोगों ने उनकी मानसिकता को समझा और मुखबिर तंत्र विकसित किया तथा 1 दिन में 63 लोगों पर कार्यवाही संभव नहीं थी हमने गांव की जनता को ही साथ कर लिया इसके बाद फोर्स के साथ हो गए उनका भी कहना है कि कचरा साफ होना चाहिए 17वे दिन पुलिस पूरी तरह से कॉन्फिडेंस में थी कि अब अभियान पूरा होकर रहेगा और ऐसा हुआ भी 17वे दिन रात 3:00 बजे पुलिस ने कार्यवाही चालू की और सुबह 8:00 तक 63 लोगों को पकड़ लिया गया इसके लिए 10 टीमें 8 से 10 जगह लगाई गई लोगों ने भी उन्हें पकड़ा केवल अतिक्रमण नहीं तोड़ा बल्कि कानून व्यवस्था भी स्थापित किया गया।

एक हज़ार पुलिसकर्मी हुए ऑपरेशन में शामिल 

इस पूरे ऑपरेशन में 1,000 से अधिक पुलिसकर्मी शामिल होकर इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिए तब जाकर अतिक्रमणकारियों के हौसले नेस्तनाबूद हुए। वही उनके द्वारा इतने व्यापक पैमाने में जंगलों को नष्ट किया गया था कि उन लकड़ियों को हटाने में लगभग 400 ट्रकों को लगाना पड़ा।

सीएम शिवराज ने दी टीम को बधाई

वहीं इस पूरे ऑपरेशन की सफलता के बाद सुबह के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने भी पुलिस प्रशासन को इतनी बड़ी कार्यवाही के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी है।

समाचार

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