अब मिलेगी 25 लाख तक की टैक्स फ्री ग्रेच्युटी: कर्मचारियों को बड़ी राहत
भारत सरकार ने ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट की सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख कर दी है। यह फैसला करोड़ों कर्मचारियों के लिए आर्थिक सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम है।

भारत सरकार ने सभी कर्मचारियों को राहत देते हुए ग्रेच्युटी से जुड़े आयकर नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी की राशि 25 लाख रुपये तक पूरी तरह कर-मुक्त होगी। पहले यह सीमा 20 लाख रुपये थी। यह निर्णय खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है जिन्होंने वर्षों तक एक ही संस्थान में सेवा दी है।
सरकार का यह कदम न केवल कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि सेवानिवृत्त जीवन को भी चिंतामुक्त बनाता है। यह नई व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है।
📝 ग्रेच्युटी पाने के नियम: कौन कर सकता है दावा
ग्रेच्युटी का लाभ लेने के लिए जरूरी है कि कर्मचारी ने कम से कम 5 साल तक एक ही संस्थान में निरंतर सेवा की हो। यदि कोई कर्मचारी 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ देता है तो उसे ग्रेच्युटी नहीं मिलती। हालांकि कुछ मानवीय अपवाद भी हैं:
अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाए या वह किसी दुर्घटना में विकलांग हो जाए
तो 5 साल की सेवा की शर्त लागू नहीं होती,
और नामांकित व्यक्ति को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है।
📊 ग्रेच्युटी कैसे होती है कैलकुलेट? जानिए सरल फार्मूला
ग्रेच्युटी = अंतिम वेतन × 15/26 × कुल सेवा वर्ष
👉 अंतिम वेतन में बेसिक पे + डीए (महंगाई भत्ता) शामिल होता है।
👉 15/26 इसलिए क्योंकि एक महीने में औसतन 26 कार्य दिवस माने जाते हैं।
👉 6 महीने से अधिक सेवा होने पर अगले वर्ष की पूरी गिनती होती है।
उदाहरण:
अगर अंतिम वेतन ₹35,000 है और कर्मचारी ने 7 वर्ष सेवा दी है,
तो ग्रेच्युटी = ₹35,000 × 15/26 × 7 = ₹1,41,346
🧮 सेवा अवधि कैसे गिनी जाती है
यदि सेवा काल 7 साल 7 महीने है ➡ 8 साल गिने जाएंगे।
यदि सेवा काल 7 साल 3 महीने है ➡ 7 साल ही माना जाएगा।
यह नियम कर्मचारियों के हित में बनाया गया है जिससे उन्हें उनकी प्रत्येक सेवा वर्ष का पूरा लाभ मिल सके।
🧑⚖️ किस पर लागू होता है यह नियम
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत सभी कर्मचारियों को दो श्रेणियों में बांटा गया है:
1. अधिनियम के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी
2. अधिनियम से बाहर वाले कर्मचारी
➡ दोनों के लिए गणना का फार्मूला समान है।
➡ बस कुछ नियम उनकी कंपनी की नीतियों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
सरकारी हो या निजी क्षेत्र – यह नया नियम सभी कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने में एक मजबूत कदम है।