देश में डिजिटल लेन-देन की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है और यूपीआई (Unified Payments Interface) इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। लेकिन आए दिन गलत खातों में पैसे ट्रांसफर होने या फर्जी नामों से धोखाधड़ी की खबरें सामने आती रहती हैं। इसी को रोकने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने एक बड़ा कदम उठाया है।
क्या है नया नियम?
1 जुलाई 2025 से यूपीआई के जरिए किसी को पैसे भेजने से पहले उस व्यक्ति का बैंक द्वारा प्रमाणित नाम स्क्रीन पर दिखेगा। पहले जहां केवल उपनाम या कभी-कभी फोनबुक में सेव किया गया नाम दिखता था, अब केवल वही नाम दिखाई देगा जो बैंक के रिकॉर्ड में है।
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कैसे मिलेगा फायदा?
धोखाधड़ी में भारी कमी आएगी: अब आप यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि पैसे सही व्यक्ति को जा रहे हैं।
गलत ट्रांजेक्शन से बचाव: नाम मेल न खाने पर आप पेमेंट से पहले ही सतर्क हो सकेंगे।
व्यापारियों के लिए भी सुरक्षा: ग्राहक अब सही दुकानदार या व्यापारी का सत्यापित नाम देख पाएंगे, जिससे विश्वास बढ़ेगा।
UPI ट्रांजेक्शन में पारदर्शिता
P2P (पर्सन टू पर्सन): दो लोगों के बीच लेन-देन में अब गलत पहचान की संभावना खत्म हो जाएगी।
P2M (पर्सन टू मर्चेंट): ग्राहक को दुकानदार का सत्यापित नाम दिखाई देगा, जिससे सही व्यापारी को भुगतान होगा।
कैसे करेगा यह सिस्टम काम?
अब यूपीआई ऐप पर पेमेंट कन्फर्म करते समय क्यूआर कोड या उपनाम की जगह सीधे बैंक द्वारा वैरिफाई किया गया नाम दिखाई देगा। इससे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या पहचान की गड़बड़ी का खतरा बहुत हद तक खत्म हो जाएगा।