सतना में दर्दनाक हादसा: बोरवेल में डूबीं दो सहेलियां, एक ने बचाने की कोशिश में गंवाई जान

दो सहेलियां खेलते-खेलते पुराने बोरवेल के गड्ढे में गिरीं, एक को बचाने गई दूसरी भी डूबी, दोनों की मौत से गांव में मातम।

सतना (मध्य प्रदेश) – रविवार दोपहर नागौद थाना क्षेत्र के रेरुआ कला गांव में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया। खेलते-खेलते एक पुराने बोरवेल के गड्ढे में डूबने से दो सहेलियों की मौत हो गई। हादसे के वक्त दोनों बच्चियों के माता-पिता पास के खेतों में रोपा लगा रहे थे।

16 साल की सोमवती और 12 साल की दुर्गा, गांव के ही रमेश मिश्रा के खेत की ओर खेलते-खेलते निकल गई थीं। वहां एक पुराने और खुले छोड़े गए बोरवेल में पानी भरा था। बताया जा रहा है कि एक बच्ची का पैर फिसला और वह पानी में गिर गई, दूसरी ने उसे बचाने की कोशिश की और खुद भी डूब गई।

घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों ने गांव वालों की मदद से पुलिस को सूचना दी। एसडीएम जितेंद्र वर्मा और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा। शाम 5 बजे सोमवती का शव निकाल लिया गया, जबकि दुर्गा का शव बोरवेल में 20 फीट गहराई में फंसा हुआ था। एसडीईआरएफ की टीम ने करीब आधी रात 12:45 बजे दुर्गा का शव बाहर निकाला।

खेत में खुला छोड़ा गया था बोरवेल

ग्रामीणों के अनुसार, जिस स्थान पर हादसा हुआ, वहां एक पुराना बोरवेल था जिसे लंबे समय से बंद कर दिया गया था, लेकिन भारी बारिश के कारण उसकी मिट्टी धंस गई और गड्ढा फिर से खुल गया। बताया गया कि बोरवेल की केसिंग हटाकर उसे बिना ढंके छोड़ दिया गया था।

रेस्क्यू में झेली कई मुश्किलें

हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। घटनास्थल तक पहुंचने के लिए प्रशासनिक टीम को करीब साढ़े तीन किलोमीटर तक कीचड़ और फिसलन भरे खेतों से गुजरना पड़ा। अंधेरे और बारिश के बीच स्थानीय लोग ट्रैक्टरों से रेस्क्यू टीम को घटनास्थल तक लेकर पहुंचे।

प्रशासन और जनप्रतिनिधि मौके पर

घटना की सूचना मिलते ही पूर्व विधायक कल्पना वर्मा, जनपद सीईओ अशोक मिश्रा और टीआई अशोक पांडे मौके पर पहुंचे। रात करीब एक बजे दोनों शवों को नागौद अस्पताल पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।

हादसे ने उठाए सवाल

इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक खुले और असुरक्षित बोरवेल यूं ही जानलेवा बनते रहेंगे? प्रशासन और ग्रामीणों को मिलकर इस ओर गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है ताकि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।

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