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गोंडा में श्रद्धालुओं से भरी बोलेरो नहर में गिरी, 11 की दर्दनाक मौत — CM योगी ने जताया शोक

हादसा या हवन? जल चढ़ाने निकले 15 श्रद्धालु, गोंडा में नहर बनी काल, 11 की डूबने से मौत

गोंडा, उत्तर प्रदेश: श्रावण मास के पवित्र मौके पर रविवार को गोंडा जिले में एक बेहद दर्दनाक हादसा सामने आया। पृथ्वीनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने जा रहे 15 श्रद्धालुओं से भरी बोलेरो अचानक अनियंत्रित होकर सरयू नहर में जा गिरी। इस हृदयविदारक हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि कुछ गंभीर रूप से घायल हैं।

हादसा कैसे हुआ?

इटियाथोक थाना क्षेत्र के बेलवा बहुता मजरा रेहरा में यह हादसा सुबह उस समय हुआ जब मोतीगंज थाना क्षेत्र के सीहागांव गांव के श्रद्धालु बोलेरो से खरगूपुर स्थित प्रसिद्ध पृथ्वीनाथ मंदिर में जल चढ़ाने जा रहे थे। तेज गति और असंतुलित वाहन के चलते बोलेरो सीधे नहर में जा पलटी।

चश्मदीदों ने बचाव की उठाई शुरुआत

हादसे के तुरंत बाद आसपास से गुजर रहे राहगीरों ने डूबती बोलेरो को देखा और शोर मचाया। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और ग्रामीण मौके पर पहुंचे। इटियाथोक थाने की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर शवों को बाहर निकाला और घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पताल भेजा।

पहचान जारी, गांव में पसरा मातम

हादसे में मृत लोगों की पहचान का काम अभी भी जारी है। पुलिस शवों की शिनाख्त में लगी है और परिजनों से संपर्क किया जा रहा है। गांव में गहरा शोक फैल गया है, हर घर में मातम पसरा हुआ है। घायलों का इलाज अस्पताल में चल रहा है, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और प्रशासन को हर संभव मदद पहुंचाने का निर्देश दिया।

मौके पर तैनात भारी पुलिस बल

घटना की गंभीरता को देखते हुए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। बोलेरो वाहन को नहर से निकालने का कार्य जारी है। प्रशासन पूरी सतर्कता से घटना की जांच और राहत कार्यों में जुटा है।

श्रावण मास की यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक दुखद मोड़ पर समाप्त हुई। यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर सवाल है जो तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को लेकर लापरवाह है। प्रशासन को चाहिए कि तीर्थ स्थलों पर जाने वाले मार्गों की स्थिति की समय-समय पर जांच करे और ऐसी त्रासदियों को भविष्य में रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

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