जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस संवेदनशील माहौल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के एक बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। झारखंड की एक रैली में उन्होंने दावा किया कि यह हमला खुफिया तंत्र की विफलता का नतीजा था, जिसे केंद्र सरकार ने खुद स्वीकार किया है।
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खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमले से तीन दिन पहले ही एक खुफिया अलर्ट भेजा गया था, जिसके चलते उन्होंने जम्मू-कश्मीर का अपना दौरा रद्द कर दिया था। उनका यह दावा सवाल खड़े करता है कि यदि सरकार को पहले से जानकारी थी, तो पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
खरगे ने केंद्र सरकार से जवाबदेही की मांग करते हुए कहा, “जब खुफिया विफलता को स्वीकार कर लिया गया है, तो फिर जानमाल के नुकसान की जिम्मेदारी कौन लेगा?” साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी ठोस कार्रवाई में सरकार के साथ खड़ी है, क्योंकि राष्ट्र सर्वोपरि है।
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हालांकि, बीजेपी ने खरगे के इन बयानों को देशविरोधी करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ऐसे संवेदनशील समय में इस तरह के आरोप दुर्भाग्यपूर्ण हैं। वहीं, सीआर केसवन ने खरगे की तुलना मीर जाफर से करते हुए उनके बयान को ‘देशद्रोह’ जैसा बताया और माफी की मांग की।
जहां एक ओर पूरा देश पहलगाम हमले में शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है, वहीं सियासत गरमाती जा रही है। सवाल उठता है—क्या इस वक्त राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाने का समय नहीं है।