Post Office Schemes: बेहद शानदार हैं पोस्ट ऑफिस की ये स्कीम, मोटा रिटर्न मिलने के साथ होगी टैक्स में बचत
Post Office Schemes: हर कोई अपने भविष्य को देखते हुए निवेश करने की सोचता है। देखा जाए तो भविष्य के लिए निवेश करने के लिए कई ऑप्शन मौजूद हैं। वैसे पोस्ट ऑफिस कई तरह की योजनाएं चलाता है, जिनमें निवेश करने पर अच्छा रिटर्न मिलता है। इन योजनाओं में आप अपनी जरूरत के अनुसार निवेश कर सकते हैं और भविष्य के अच्छा फंड इकठ्ठा कर सकते हैं।
पोस्ट ऑफिस रेकरिंग डिपॉजिट (Post Office Recurring Deposit)
पोस्ट ऑफिस रेकरिंग डिपॉजिट में 5 साल के लिए निवेश कर सकते हैं। इसमें आपको रिटर्न काफी अच्छा मिलेगा। पोस्ट ऑफिस रेकरिंग डिपॉजिट पर 5.8 फीसदी ब्याज मिलता है। ब्याज की यह दर 1 अप्रैल 2020 से लागू है। पोस्ट ऑफिस रेकरिंग डिपॉजिट में आप मिनिमम 100 रुपये से अकाउंट खोल सकते हैं। आप 10 के मल्टीपल में कोई भी रकम जमा करा सकते हैं। अधिकतम निवेश करने की कोई लिमिट नहीं है।
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (Post Office time deposit)
पोस्ट ऑफिस भी टाइम डिपॉजिट (Post Office time deposit) स्कीम उपलब्ध कराता है। यह भी एक तरह से बैंक एफडी का ही रूप होता है। टर्म डिपॉजिट (TD) चार अवधियों- 1, 2, 3 और 5 सालों के लिए उपलब्ध है। इसमें 1000 रूपये न्यूनतम निवेश किया जा सकता है और निवेश की अधिकतम सीमा नहीं है।
इस स्कीम में 10 साल से ज्यादा उम्र का कोई भी व्यक्ति इस योजना में निवेश कर सकता है। पांच साल के पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट में ब्याज दर 6.7 फीसदी है। ब्याज का भुगतान सालाना किया जाता है लेकिन ब्याज की गणना तिमाही की जाती है।
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (National Savings Certificate):
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में आप हर साल कम से कम 100 रूपये का निवेश कर सकते हैं। इस स्कीम में एक व्यक्ति कितने भी खाते खोल सकता है। इसकी लॉक-इन अवधि पांच साल की होती है। एनएससी में किए जाने वाले निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
एनएससी सर्टिफिकेट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी ट्रांसफर किया जा सकता है। हालांकि एनएससी VIII में, यह पंजीकरण की तारीख से मैच्योरिटी की तारीख तक सिर्फ एक बार किया जा सकता है। इसमें आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का फायदा उठाया जा सकता जा सकता है।
एनएससी (NSC) में दर 6.8 फीसदी है और ब्याज सालाना चक्रवृद्धि मिलता है। ब्याज मैच्योरिटी पर ही मिलता है। इसमें ब्याज का भुगतान नहीं किया जाता है बल्कि फिर से निवेश किया जाता है।